खबरी इंडिया, गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति V/S प्रोफेसर कमलेश गुप्ता का मामला आधी रात को तुल पकड़ लिया। मंगलवार की दोपहर छात्रों के समर्थन में यूनिवर्सिटी कैंपस में सत्याग्रह कर रहे हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता को सस्पेंड करने की खबर सुनते ही विश्वविद्यालय छात्रों का गुस्सा फूट गया। देर रात आक्रोशित छात्र हीरापुरी कॉलोनी से प्रदर्शन करते हुए विश्वविद्यालय छात्र यूनिवर्सिटी के मेन गेट पर पहुंचने लगे हैं और प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसकी जानकारी होते ही पुलिस व प्रशासन के हाथ- पांव फूंलने लगे हैं। भारी पुलिस फोस के साथ पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी पहुंच चुके हैं।
साथ ही ऐलान किया कि प्रोफेसर के निलंबन की कार्रवाई व कुलपति को हटाने की मांग को लेकर हमारा आंदोलन निरंतर जारी रहेगा। इस क्रम में कुलपति हटाओ विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ शहर में अभियान चलाने का छात्रों ने निर्णय लिया है।
देर रात छात्र सड़क पर उतरे
प्रो. कमलेश कुमार गुप्त के निलंबन और सात शिक्षकों को कारण बताओ नाटिस जारी किए जाने की खबर पाकर मंगलवार की रात करीब 10 बजे सभी छात्रावासों के छात्र आंदोलित हो उठे। सड़क से लेकर विवि के मुख्य द्वार तक करीब सवा घंटे तक प्रदर्शन किया। प्रो. कमलेश गुप्त के निलंबन की खबर छात्रावासियों को शाम को हो गई थी। उसके बाद छात्र इस मुद्दे पर प्रो. कमलेश गुप्त का साथ देने के लिए मुखर होने लगे थे। सहमति के बाद करीब 10 बजे सभी छात्रावासी बाहर निकल गए। वहां से हीरापुरी कॉलोनी, रेलवे बस स्टैंड, यूनिवर्सिटी चौराहा होते हुए पौने 11 बजे विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर पहुंचे। वहीं धरने पर बैठ गए। छात्रों के धरने की खबर पाकर कैंट पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और छात्रों को समझाने लगी। धरने के दौरान छात्रों ने निर्णय लिया कि बुधवार से वे प्रो. कमलेश के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए अलग-अलग तरकीब अपनाएंगे।
बुधवार को प्रो. कमलेश गुप्त के सत्याग्रह के दौरान छात्र भी प्रशासनिक भवन पर प्रदर्शन करेंगे। शहर की सड़कों पर पैदल मार्च निकालकर जनसमर्थन जुटाएंगे। परिसर में भी घूमकर छात्रों से विश्वविद्यालय हित में प्रो. कमलेश गुप्त के समर्थन की अपील करेंगे। उनका आंदोलन प्रो. कमलेश गुप्त का निलंबन वापस लेने तक जारी रहेगा। रात सवा 11 बजे छात्रावासी वहां से वापस लौटे।
आरोपों की जांच को कमेटी
प्रो. कमलेश गुप्त को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है। साथ ही उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्य परिषद सदस्य शामिल हैं। सात शिक्षकों को भी नोटिस जारी किया गया है।
इन आरोपों में निलंबित हुए प्रोफेसर
प्रोफेसर कमलेश गुप्ता पर आरोप है कि वे विश्वविद्यालय के पठन पाठन के माहौल को खराब कर रहे थे। साथ ही उनपर बिना सूचना आवंटित कक्षाओं में समय सारिणी के अनुसार न पढ़ाने, असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी करने, विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलु कार्य कराने व उनका उत्पीड़न करने, जो विद्यार्थी उनकी बात नहीं सुनते है उसको परीक्षा में फेल करने की धमकी देने, महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही करने की शिकायत प्राप्त होने, विभाग के लड़कियों के प्रति उनका व्यवहार मानसिक रूप से ठीक नहीं रहने और नई शिक्षा नीति, नए पाठ्यक्रम तथा सीबीसीएस प्रणाली के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने, अनुशासनहीनता एवं दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही और कर्तव्य विमुखता का आरोप है।
सोशल मीडिया पर भी पोस्ट
फेसबुक और ट्विटर पर भी कमलेश गुप्ता के लिए छात्र समर्थन मांग रहे हैं। प्रो. कमलेश के फेसबुक लाइव को 60 से अधिक लोगों ने शेयर किया है तो छात्र उनके समर्थन में अलग-अलग तस्वीरें और वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं।
पहले भी प्रोफेसर को जारी हो चुके हैं 8 नोटिस
आरोप है कि उनके खिलाफ समय समय पर कुलसचिव की ओर से 8 नोटिस जारी किए गए हैं। मगर उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है। उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है। जिसके बाद उनका आचरण विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2, 3 व 4, और उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के विरुद्ध पाए जाने पर कार्रवाई करने का दावा किया गया है।
आरोपों की जांच को कमेटी
प्रो. कमलेश गुप्त को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है। साथ ही उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्य परिषद सदस्य शामिल हैं। सात शिक्षकों को भी नोटिस जारी किया गया है।
मेस बंद होने के विरोध में छात्रों ने दिया धरना
मेस बंद होने पर अचानक मंगलवार को विश्वविद्यालय के नाथ चंद्रावत छात्रावास के छात्रावासी आंदोलित हो उठे।यह मेस तीन दिन पहले 18 दिसंबर को ही खुला था। अचानक मेस बंद होने से आक्रोशित छात्र डीडीयू के प्रशासनिक भवन पहुंचे और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
छात्रों के प्रदर्शन की जानकारी पाकर चीफ वार्डन प्रो. शिवाकांत सिंह पहुंचे और छात्रों से बात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि 22 दिसंबर की शाम तक उनका मेस शुरू हो जाएगा। एक दिन बाद मेस शुरू करने के आश्वासन पर छात्र वापस लौटे। इस दौरान छात्रों ने कहा कि यदि बुधवार की शाम तक उनका मेस शुरू नहीं हुआ तो वे अपना मेस फीस वापस करने की मांग करेंगे।