
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव इस बार कई मायनों में खास है. यह विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ ही सपा, कांग्रेस और बसपा के लिए भी अग्निपरीक्षा माना जा रहा है.
विनीत राय, गोरखपुर।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने पांच राज्यों उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), पंजाब (Punjab), उत्तराखंड (Uttarakhand), गोवा (Goa) और मणिपुर (Manipur) में विधानसभा चुनावों की तारीखों (Assembly Election Date 2022) का ऐलान कर दिया है.
2017 में आयोग ने 4 जनवरी को विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था लेकिन इस बार 8 जनवरी को यानी आज वोटिंग की नई तारीखों का ऐलान हुआ है. उत्तर प्रदेश में 403 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. जबकि उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीट, पंजाब में 117 विधानसभा सीट, गोवा में 40 विधानसभा सीट और मणिपुर में 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे.
यह विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होने जा रहा है. असल में बीजेपी केंद्र में वापसी को यूपी को जरूरी मानती रही है. ऐसे में इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने यूपी में योगी सरकार के रूप में अपने ‘ भगवा राज’ को कायम रखने की चुनौती बनी हुई है. तो वहीं सत्ता से बाहर हो चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं के साथ ही योगी सरकार से उपजे असंतोष का फायदा मिलने की उम्मीद है. सपा को भरोसा है कि उसके कॉडर वोट के साथ ही यह दो फैक्टर इस विधानसभा चुनाव में सपा की ‘साइकिल’ (सपा का चुनाव चिन्ह) को स्पष्ट बहुमत दिला सकता है.
कांग्रेस का दांव आएगा काम?
जबकि कांग्रेस अपनी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की अगुवाई में चुनाव लड़ने जा रही है, जो यूपी की आधी आबादी (महिला मतदाताओं) को आधार बना कर चुनावी मैदान में है. इसको लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा जहां 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की घोषणा कर चुकी हैं, तो वहींं कांग्रेस महिला केंद्रित नारों से विधानसभा चुनावों की तैयारी करने में जुटी हुई है. वहीं बसपा इस बार भी अपने सोशल इंजीनियरिंंग के फार्मूले को आधार बना कर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है.
उत्तर प्रदेश में AAP ने नहीं किया किसी के साथ गठबंधन
यूपी में आम आदमी पार्टी सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. यहां उसने किसी भी पार्टी से कोई गठबंधन नहीं किया है. AAP यहां 200 से ज्यादा प्रत्याशियों की घोषणा भी कर चुकी है. यूपी में आप से मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा, यह फिलहाल साफ नहीं है. हालांकि पार्टी यहां संजय सिंह के चेहरे के साथ उतरेगी. 2017 यूपी के चुनाव में आप कुछ सीटों पर लडी थी.
पिछले चुनाव में 403 में बीजेपी गठबंधन को मिली थी 325 सीटें, सपा-कांग्रेस गठबंधन को 54 सीटें मिली थी
2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी गठबंधन को 403 सीटों में से बीजेपी गठबंधन को 325 सीटें मिली थी. जिसमें से बीजेपी के अकेले 311 उम्मीदवार विजय हुए थे. वहीं बीजेपी गठंबधन में शामिल अपना दल (सोनेलाल) के 9 उम्मीदवार और सोहेलदेव समाज पार्टी के 4 उम्मीदवार विजय हुए थे. वहीं 2017 के चुनाव में सपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया था. सपा नेता अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘यूपी के लड़कों ‘ और ‘यूपी को यह साथ पंसद’ के नारे के साथ चुनावी मैदान में गए थे. इस चुनाव में इस गठबंधन के मात्र 54 उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे. वहीं 19 सीटें बसपा और 5 सीटें अन्य के खातें में गई थी.
2017 में बीजेपी गठबंधन को मिले थे 41 फीसदी से अधिक मत
2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को कुल 41.4 फीसदी वोट मिले थे. जिसमें से बीजेपी को अकेले 39.7 फीसदी वोट मिले थे. जबकि तकरीबन दो फीसदी वोट गठबंधन के उम्मीदवारों को मिले थे. चुनाव में बीजेपी ने 403 में से 384 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि बाकी सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार थे. वहीं सपा और कांग्रेस गठबंधन को 28 फीसदी वोट मिले थे. जिसमें से 21.2 फीसदी वोट सपा और 6.8 फीसदी वोट कांग्रेस को प्राप्त हुआ था. सपा ने 311 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. तीसरे नंबर पर बीएसपी को 22 फीसदी से अधिक वोट मिले थेे.
61 फीसदी लोगों ने किया था अपने मताधिकार का प्रयोग
यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न कराए गए थे. जिसमें पहले चरण के लिए मतदान 11 फरवरी को आयोजित किया गया था. जबकि अंतिम व सातवें चरण के लिए 8 मार्च को मतदान आयोजित किया गया था. इस विधानसभा चुनाव में लगभग 61% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
यूपी में बढ़ी महिलाओं की चुनावी भागीदारी
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग ने बताया है कि पांच राज्यों में महिलाओं के भाग लेने में लगातार बढ़त देखी गई है. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में महिलाओं की चुनाव में भागीदारी बढ़ी है. महिलाओं के लिए खास तरह के इंतजाम किए जाएंगे. आयोग ने बताया है कि हर विधानसभा में कम से कम एक पोलिंग बूथ ऐसा होगा जो पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा ही संचालित किया जाएगा. CEC सुशील चंद्रा ने बताया कि पांच राज्यों के चुनाव में 18.34 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे, जिनमें से 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं.
कब किस जिले में होगी वोटिंग
पहले चरण के दौरान शामली, मेरठ, मुज्जफरनगर, बागपत, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और अलीगढ़ में मतदान किया जाएगा. दूसरे चरण में 9 जिलों- सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर में मतदान किया जाएगा. तीसरा चरण में- कासगंज, हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर में वोटिंग होगी.
चौथे चरण के दौरान- पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा में मतदान होगा. पांचवे चरण में- श्रावस्ती, बहराइच, बाराबंकी, गोंडा, अयोध्या, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, चित्रकूट और प्रयागराज में वोटिंग होगी. सातवें चरण के दौरान आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, संत रविदास नगर, वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र में वोटिंग होगी.
ECI का काम समय पर चुनाव कराना
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव कराए जाने पर आयोग ने कहा कि चुनाव आयोग को संविधान से समय पर चुनाव कराने कि शक्ति मिली है. कोरोना के दौरान यह बहुत ही चुनौतिपूर्ण है और हमें ये देखना है कि कैसे चुनाव कराए जाएं. आयोग का कहना है कि नए दिशानिर्देश कोरोना के मद्देनजर चुनाव के लिए जारी किए जाएंगे. आयोग ने ये भी बताया कि बढ़ते ओमिक्रान मामलों के चलते स्वास्थ्य सचिव, विशेषज्ञों और सरकार के साथ कई बैठकें की गई हैं.
CEC सुशील चंद्रा ने बताया कि संविधान में राज्य सरकार का कार्यकाल पांच साल का है और ये इससे ज्यादा नहीं हो सकता है. ऐसे में चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है और आयोग का काम समय पर चुनाव कराना है.
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