ऑफिस आकर कोई दे गया लिफाफा, खोला तो निकले 10 करोड़ के बॉन्ड: JDU
इलेक्टोरल बॉन्ड के लाभार्थियों में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बिहार का सत्ताधारी दल जेडीयू भी शामिल है. हालांकि इन दोनों पार्टियों की दलील है कि कोई उनके पार्टी ऑफिस में सीलबंद लिफाफे दे गया था, जिसके अंदर ये इलेक्टोरल बॉन्ड्स थे और इसलिए वे इस बात से अंजान थे कि यह दान किसने दिया.
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद से इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. चुनाव आयोग की तरफ से रविवार को जारी आंकड़ों से पता चला कि चुनावी बॉन्ड खरीदने के मामले में सबसे टॉप पर रहे ‘फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज’ ने तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके को सबसे अधिक 509 करोड़ रुपये दान दिए थे. वहीं चुनावी बॉन्ड के इन लाभार्थियों में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बिहार का सत्ताधारी दल जेडीयू भी शामिल है. हालांकि इन दोनों पार्टियों की दलील है कि कोई उनके पार्टी ऑफिस में सीलबंद लिफाफे दे गया था, जिसके अंदर ये इलेक्टोरल बॉन्ड्स थे और इसलिए वे इस बात से अंजान थे कि यह दान किसने दिया.
सुप्रीम कोर्ट के इलेक्टोरल बॉन्ड पर दिए गए फैसले के बाद से इलेक्शन कमीशन सभी राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक कर रहा है. इन खुलासों में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) की हुई फाइलिंग में 10 करोड़ रुपए की बॉन्ड का खुलासा हुआ, जिसमें डोनर की कोई भी जानकारी मौजूद नहीं थी. यह बॉन्ड साल 2019 में पार्टी के पटना ऑफिस में दिया गया था.
इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनाव में चंदे के तौर पर राजनीतिक दलों को दिए जाने वाली राशि पर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले के बाद से सभी राजनीतिक दलों ने बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी को सील बंद लिफाफे में करके इलेक्शन कमीशन को सौंप दिया है. इस खुलासे में सबसे हैरान करने वाला खुलासा नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) का था, जिसने चुनाव आयोग से कहा कि साल 2019 में उनकी पार्टी के ऑफिस में किसी अनजान व्यक्ति ने 10 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड वाला एक लिफाफा दिया था.
इलेक्शन कमीशन ने सभी राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी को रविवार यानी 17 मार्च को सार्वजनिक कर दिया. इस दौरान कुछ ऐसे खुलासे किए गए हैं, जो कि हैरान करने वाले हैं. बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी की फाइलिंग से पता चला कि उसे इलेक्टोरल बांड में कुल 24 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मिली है. इन खुलासे के दौरान सबसे दिलचस्प बिहार के पार्टी की फाइलिंग थी.
लिफाफे में 1 करोड़ रुपये के 10 बांड
जेडीयू ने बताया कि 3 अप्रैल, 2019 को उन्हें पार्टी के पटना ऑफिस में दिए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डोनर के किसी भी डिटेल की जानकारी नहीं है और न ही हमने पता लगाने की ज्यादा कोशिश की. क्योंकि उस समय में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर किसी भी तरह का कोई भी आदेश जारी नहीं किया था. पार्टी ने बताया कि किसी व्यक्ति ने हमारे पटना ऑफिस में साल 2019 को एक सीलबंद लिफाफा दिया और वहां से चला गया. इस लिफाफे को खोलने के बाद इसमें से कई इलेक्टोरल बॉन्ड मिले. लिफाफे में 1 करोड़ रुपये के 10 बांड थे. जिसके बाद से उन्होंने भारत सरकार की गजट अधिसूचना के अनुसार, पटना के एसबीआई की मेन ब्रांच में अकाउंट खुलवा कर उसमें उस बॉन्ड को जमा कर दिया, जिसे 10 अप्रैल को पार्टी के खाते में जमा कर लिया गया. जनता दल ने कहा कि हम उस डोनर के बारे में ज्यादा जानकारी देने में असमर्थ हैं.
भारती एयरटेल और श्री सीमेंट के नाम भी शामिल
इलेक्शन कमिशन में किए गए अन्य फाइलिंग के दौरान 1 करोड़ रुपये और 2 करोड़ रुपये के बांड के लिए दानदाताओं के रूप में भारती एयरटेल और श्री सीमेंट के नामों का भी खुलासा किया. अपने अन्य फाइलिंग में जेडीयू ने बताया कि उन्हें हैदराबाद, कोलकाता और पटना के एसबीआई शाखाओं से उन्हें जो भी बॉन्ड मिले उसकी राशि लगभग 24 करोड़ से ज्यादा थी. सार्वजनिक किए इन खुलासों में समाजवादी पार्टी ने भी 10 करोड़ से ज्यादा राशि के बॉन्ड की जानकारी दी है, जिसमें पार्टी ने कहा कि 10 बॉन्ड डाक के माध्यम से मिले थे, जिसमें कुल मिलाकर 10.84 करोड़ रुपये थे, इन बॉन्ड पर किसी का भी नाम नहीं दिया गया था.