खबरी इंडिया, गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर कमलेश गुप्ता का अवैध एवं विधिविरुद्ध निलंबन के साथ 7 अन्य वरिष्ठ प्रोफेसरों से दंडस्वरूप एक दिन की वेतन कटौती पर विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही एवं मनमानी प्रवृत्ति के विरुद्ध संचालित सत्याग्रह को राजीव गांधी स्टडी सर्किल ,गोरखपुर द्वारा नैतिक समर्थन देते हुए जिला समन्वयक डॉ प्रमोद कुमार शुक्ला ने कहा कि ये स्वतंत्र भारत है ,जिसकी बुनियाद ही लोकतंत्र है, जिसे शायद विश्वविद्यालय प्रशासन अपने तानाशाही प्रवृत्ति के कारण भूल रहा है।
गोरखपुर की पवित्र भूमि महायोगी गुरू गोरक्षनाथ जी की तपोभूमि है, जिसे समरसता, समानता एवँ चेतना की उर्वरता से सींचा गया है। एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय,जिन्होंने कहा था,समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय सुनिश्चित हो ,उनके नाम से सुशोभित इस पवित्र विश्वविद्यालय में सम्पूर्ण समाज की दिशा निर्धारित करने वाले शिक्षक आज उत्पीड़ित हो रहे हैं । डॉ शुक्ला ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय का ये मनमानापन, तानाशाही, प्रवृत्ति जो नियमविरुद्ध ढंग से समाज के सबसे प्रबुद्ध वर्ग शिक्षक समुदाय को उत्पीड़ित कर रहा है, अक्षम्य है। उन्होंने समस्त प्रबुद्ध वर्ग के साथ ही जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया कर्मियों से गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा उत्पीड़ित किये जा रहे शिक्षक समुदाय को नैतिक समर्थन एवं सहयोग प्रदान करने की अपील की है।
तीन जनवरी को बैठक कर शिक्षक बनाएंगे रणनीति
डीडीयू शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी ने सभी शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा है कि तीन जनवरी को अब विश्वविद्यालय खुलेगा। उसी दिन अपराह्न साढ़े तीन बजे शिक्षकों की आमसभा की बैठक मजीठिया भवन के 113 नंबर कमरे में आयोजित की गई है। सभी शिक्षकों से अपील है कि वे समय से पहुंचें।
शीतकालीन अवकाश घोषित, अब नहीं करेंगे सत्याग्रह
शनिवार से विश्वविद्यालय में शीतकालीन अवकाश की घोषणा कर दी गई है। इसके बाद प्रो. कमलेश ने विश्वविद्यालय खुलने तक सत्याग्रह न करने का फैसला लिया है। उन्होंने तय किया है कि अवकाश के दिनों में सत्याग्रह के समर्थन के लिए लोगों से जनसंपर्क करेंगे।