बर्बर तालिबानियों के चंगुल में खौफ के वे चार घंटे
-तालिबानियों की गिरफ्त से छूटकर वतन लौटे शैलेंद्र और नीतीश ने साझा की खौफनाक कहानी
-मंडल के कई लोग अभी भी फंसे हैं अफगानिस्तान में
गोरखपुर। अफगानिस्तान के काबुल से शैलेंद्र शुक्ल नीतीश कुमार गुप्ता सलामत सोमवार को अपने वतन लौट आए हैं। घर पहुंचने पर उन्होंने वहां के हालात पर तालिबानी आतंकियों के कहर को साझा करते हुए कहा अपने देश जैसा विश्व में कोई देश नहीं है। सरकार और मीडिया का शुक्रगुजार हूं कि उनकी वजह से आज घर पहुंच पाया हूं। वहीं उनके घर पहुंचने पर घर के लोगों में काफी खुशी है। उनकी मां ने उन्हें मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया। जबकि वे घंटों परिजनों से लिपटकर रोते रहे। इस बीच शैलेंद्र ने खौफ के उन 48 घंटों को साझा किया। जो कि काबुल से लेकर एयरपोर्ट का एक-एक पल उनके लिए एक युग में बीता।
चौराचौरा संवाददाता के अनुसार शैलेंद्र राघोपट्टी पड़री के फैलहा गांव के रहने वाले हैं। वह करीब 17 वर्ष से विदेश में टेक्नीशियन (फोरमैन) का कार्य करते हैं। बीते 16 जुलाई को वह ढाई महीने के लिए अफगानिस्तान गए थे। इस बीच वहां तालिबान आतंकियों का कब्जा होने से शैलेंद्र भी फंस गए। शैलेंद्र बताते हैं कि अभी भी वहां भारत के सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। इनमें करीब दो दर्जन से अधिक लोग गोरखपुर मंडल के शामिल हैं।
वहीं अफगानिस्तान के काबुल में फंसे भलुअनी निवासी नीतीश कुमार गुप्त (28) पुत्र नंदजी गुप्त सोमवार की सुबह बस से अपने गांव भलुअनी पहुंचे। बेटे को देख कर मां पार्वती और पिता नंदजी की आंखे भर आईं। छोटा भाई चंदन भाई के पैर छूकर गले लग गया। नीतीश के स्नान करने के बाद बहन शालिनी ने कलाई पर राखी बांध कर लंबी उम्र की कामना की। काबुल में फैली दहशत को याद कर नीतीश सिहर जा रहे थे। नीतीश ने बताया कि वहां की स्थिति बहुत दयनीय है। लोग अपना मकान, रुपये, गाड़ी सब छोड़ कर दूसरे देश में भाग रहे हैं। नीतीश की बहन ने भाई के हाथों पर राखी बांधी तो परिवार के सभी सदस्य भावुक हो गए। परिवार के लोगों ने भारत सरकार की सराहना की।
चंद कदम दूर थी मौत
शैलेंद्र ने बताया कि 20 अगस्त की रात एम्बैसी से फोन आया कि भारतीय वायुसेना का विमान अपने नागरिकों को लेने आ रहा है। कंपनी के मालिक ने तत्काल 6 बसों से सभी को एयरपोर्ट भेजा। 4 बजे भोर में एयरपोर्ट पहुंचने पर वहां हजारों की संख्या में भीड़ लगी थी। इस बीच सुबह करीब 8 बजे तालिबानी आतंकी आए और हमें बंदूक के बल पर एक सुनसान जगह पर ले गए। उस वक्त लगा था कि मौत कभी भी आ सकती है, लेकिन इस बीच भारतीय मीडिया में यह खबर चलते ही तालिबानी आतंकी सहम गए। तत्काल उनका रवैया बदल गया। उन्होंने आश्वासन दिया कि आप सभी को सुरक्षित आपके देश भेजा जाएगा। उनके जाते ही सभी लोग विमान में सवार हुए।
छोटी बात पर भी गोलियां चला रहे तालिबानी आतंकी
शैलेंद्र बताते हैं कि तालिबानी आतंकी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम नरम दिल हैं। लेकिन हालात इसके इतर हैं। वहां एक गोली चलने की आवाज के बाद लगातार गोलियां चलनी शुरू हो जा रही हैं। आतंकियों का कब्जा होते ही हम लोगों को वहां कंपनी के मालिक ने फैक्ट्री में ही कैद कर रखा था। सुरक्षा की दृष्टि से वे हमें बाहर नहीं जाने देते थे। हालांकि अंदर खाने-पीने से लेकर किसी भी चीज की दिक्कत नहीं थी। हमारे मालिक लगातार आश्वासन देते रहे कि जल्द ही तुम सभी को तुम्हारे वतन वापस भेज दिया जाएगा।