नई दिल्ली: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से भूमि उपयोग में बदलाव के लिए एक अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने का आग्रह किया, जो दिल्ली के निवासियों को सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में हरियाली के एक बड़े हिस्से से वंचित कर देगी। यह कहते हुए कि क्षेत्र का उपयोग सरकारी कार्यालयों के लिए 90 वर्षों से किया जा रहा है और हरियाली के नुकसान की भरपाई की जाएगी, केंद्र ने शीर्ष अदालत से अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने का आग्रह किया।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, “प्लॉट नंबर 1 का क्षेत्र वर्तमान में सरकारी कार्यालयों के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर एल एंड एम ब्लॉक/रक्षा मंत्रालय के कार्यालयों/हट्स लगभग 90 वर्षों से हैं और प्लॉट नंबर-1 में वास्तविक जमीनी परिस्थितियों के अनुसार कोई मनोरंजक गतिविधि (पड़ोस का खेल क्षेत्र) मौजूद नहीं है।”
हालांकि, सीपीडब्ल्यूडी ने कहा कि वह सेंट्रल विस्टा के समग्र सार्वजनिक उद्देश्य और इसके पीछे की समग्र दृष्टि पर विचार कर रहा है, मुआवजा दिया गया है और वास्तव में मनोरंजन के उद्देश्य के लिए विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों में वृद्धि की गई है।
हलफनामे में कहा गया है, “सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के समग्र मास्टर प्लान में कई सुविधाएं जोड़ी गईं, जो जनता के बड़े लाभ के लिए मौजूदा सुविधाओं के अलावा सार्वजनिक सुविधाएं होंगी।”
केंद्र ने कहा कि वह परियोजनाओं की सार्वजनिक प्रकृति से अवगत है और विशेष रूप से बड़ी ²ष्टि योजना (विजन प्लान) में विभिन्न सार्वजनिक सुविधाओं को जोड़ने के लिए प्रयासरत है और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए बहुत सारी जगह बनाई गई है। उदाहरण के लिए, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक, जो लगभग 27 एकड़ को कवर करते हैं और ‘इंडिया इन मेकिंग’ को प्रदर्शित करने वाले राष्ट्रीय संग्रहालयों में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है।
हलफनामे में कहा गया है, “इसके अलावा, अक्षरधाम मंदिर के पास यमुना नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर लगभग 118 हेक्टेयर भूमि और पश्चिमी तट पर आईपी थर्मल पावर स्टेशन के पास भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अमृत जैव विविधता पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है।”
सेंट्रल विस्टा में चिल्ड्रन रिक्रिएशनल पार्क और हरित क्षेत्र का लैंड यूज बदलने के खिलाफ याचिका पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने ना तो किसी भी नियम का उल्लघंन किया और ना ही बिना अनुमति के कोई कदम उठाए हैं।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम ने केंद्र सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा था कि जहां तक मनोरंजन क्षेत्र को आवासीय में बदलने का संबंध है, अधिकारियों ने कोई जनहित नहीं दिखाया है। वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि भूखंड पर उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए सरकारी आवास निर्धारित हैं। मेहता ने कहा कि मनोरंजक क्षेत्र को स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने वहां संसद बनने के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताओं का जिक्र भी किया।
मूल याचिकाकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता राजीव सूरी ने याचिका दायर की है, जिन्होंने पहले भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन और पर्यावरण मंजूरी के अभाव का हवाला देते हुए परियोजना को चुनौती दी थी।
इस साल जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए रास्ता साफ कर दिया था।