• January 15, 2025
 राजस्थान के ग्रामीण इलाके का स्कूल लिख रहा है सफलता की नयी कहानियां

-जयपुर: राजस्थान में चितौड़गढ़ जिले के निम्बाहेडा शहर के गांव में एक स्कूल ऐसा भी है जिसके बच्चे विज्ञान की हर विधाओं से वाकिफ है़। यहां के कूड़दानों में भी सेंसर लगे हैं और इन बच्चों को ड्रोन विमानों को असेंबल करने की महारत भी हासिल है। बच्चों ने यह सब अपने स्थानीय शिक्षकों और यू टयूब चैनल की मदद से सीखा है। मारजीवी सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल की प्रधानाचार्य कविता फडणवीस को राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं और वह आईसीटी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता के अलावा अमेरिका में शिक्षक आदान प्रदान कार्यक्रम में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।

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यह स्कूल भले ही आंतरिक गा्रमीण क्षेत्र में स्थित है लेकिन इसने दो बार राज्य स्तर पर बेहतर स्कूल का अवार्ड जीता है और इसके नवाचारों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने भी यहां का दौरा किया था। यह ऐसा स्कूल है जिसने वर्ष 2010 में ही वर्चुअल क्लासरूम की शुरूआत कर दी थी और कक्षा एक के छात्रों के लिए विज्ञान मेलों को आयोजित कर रहा है।

स्कूल की प्रधानाचार्य कविता का कहना है’शिक्षक आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत हमने अपने शिक्षण तरीके के बारे में अमेरिकी शिक्षकों को अवगत कराया और हमने उन्हें यह भी पढ़ाया कि किस तरह से हमारे भारतीय छात्र वैदिक गणित की तकनीकों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। हमने अमेरिकी छात्रों को वैदिक गणनाओं के बारे मे बताया और शुरू में उन्हें यह काफी कठिन और अविसवसनीय लगा लेकिन बाद में उन्होंने वैदिक गणित की तारीफ की। ‘

कविता ने बताया हमने अपने अनुभव से यह सीखा है कि शिक्षक यह सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी किस प्रकार लेते हैं कि बच्चे उन्हे कैसे पसंद करें तथा उनकी कक्षाएं किस प्रकार और आकर्षक हो सकती हैं। इस स्कूल मे नवाचार और सृजनात्मक गतिविधियों के अलावा बच्चों को प्रयोगशालाओं , कक्षाओं और स्कूली परिसर की गतिविधियों में हिस्सा लेने को अलग तरीक से बताया जाता है ताकि उन्हें यह आकर्षित कर सके।

उन्होंने कहा सरकार स्कूल परिसर की साफ सफाई के लिए प्रतिवर्ष मात्र पांच हजार रुपए का योगदान देती है जो काफी कम है और इसी वजह से प्रत्येक शिक्षक अपने वेतन से तीन हजार रुपए का योगदान करता है। इस धनराशि का इस्तेमाल साफ सफाई के अलावा बच्चों की वर्दी और उनकी फीस को भरने में किया जाता है और यही वजह है कि बच्चे स्कूल नहीं छोड़ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कक्षाओं की चारों दीवारों पर शिक्षकों ने ग्रीन बोर्ड को गुरू मित्र योजना के तहत पेंट किया हुआ है । यह नवाचार इसलिए किया गया है कि छात्र अलग अलग समूहों में अध्ययन करते हैं तो ऐसे में उनके पास अपने खुद के अलग बोर्ड होने चाहिए ताकि अगर एक समूह अपनी पसंद का विषय पढ़ता है तो दूसरा समूह साथ साथ अन्य बोर्ड पर अलग विषय को पढ़ सकता है।

कविता ने बताया जब मैंने 2008 में इस स्कूल को ज्वाइन किया था तो यहां का परिणाम 67.50 प्रतिशत था जो अब 2021 में बढ़कर शत प्रतिशत हो गया है। हमारे छात्र और शिक्षक तय समय से अधिक काम करते हैं और अब स्कूल में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और टॉपर्स भी आ रहे हैं और स्कूल के बेहतर परिणामों को देखकर ग्रामीण भी अपनी तरफ से योगदान करने लगे हैं।

यहां के बच्चे डिजीटल बोर्ड, सेंसर पेन, टेबलेट और क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसके अलावा कक्षाओं के बाहर क्यूआर कोड पुस्कालय की स्थापना भी की गई है ताकि समाज के अन्य वर्गों के बच्चे भी यहां आकर पढ़ सकें।

यहां के भूगोल के शिक्षक कालूराम ने बताया कि वह नवाचार को पसंद करते हैं और छात्रों को लेकर अटल प्रयोगशाला में बैठकर य्ोूटयूब की मदद से नवाचारी मॉडल बनवाते हैं । इससे न केवल उन्हें बल्कि छात्रों को भी आनंद आता हैं और वे अपने कार्य से पूरी तरह संतुष्ट रहते हैं।

स्कूल में किसी तरह की खराबी को दूर करने के लिए प्लंबर या मैकेनिक को कभी भी नहीं बुलाया जाता है और छात्र तथा शिक्षक मिलकर इन समस्याओं को दूर कर देते हैं। स्कूल में एक संसद भी चलाई जाती है जहां एक छात्र प्रधानमंत्री के रूप में अपने हर मंत्री की मांग को सुनता है और एक छात्र शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्हें सभी विकासात्मक कार्यक्रमों और चुनौतियों से अवगत कराता है।

दसवीं कक्षा की छात्रा तनु अंजाना शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी निभाती हैं और हर प्रकार की चुनौतियो से निपटने के लिए अपने आपको सामयिक ज्ञान से अद्यतन रखती है। वह अन्य छात्रों के साथ मिलकर घूंघट यानि पर्दा प्रथा को समाप्त कराना चाहती है। उनकी तरह ही स्कूल के अन्य छात्र भी अन्य सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए आवाज उठाते हैं।

तनु का गर्व से कहना हैहम सबसे सर्वोत्तम है और भविष्य में नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे।

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