नई दिल्ली।
पुनर्नवा और पाषाणभेद सहित 20 से भी ज्यादा जड़ी-बूटियों से बनी नीरी केएफटी दवा गुर्दा (किडनी) पुर्नजीवित करने के साथ-साथ डायलिसिस की संख्या भी घटाती है। डायलिसिस पर चल रहे मरीजों में इस दवा के काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यह जानकारी सऊदी जर्नल ऑफ बायलॉजिकल सांइसेज में प्रकाशित अध्ययन में सामने आई है जिसे नई दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फॉर्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के विशेषज्ञों ने हाल ही में पूरा किया है।
इसके मुताबिक नीरी केएफटी किडनी की सूक्ष्म संरचना और कार्यप्रणाली का उपचार करने में कारगर है। यह क्रोनिक किडनी डीजिज (सीकेडी) के मरीजों के लिए कारगर है। नीरी केएफटी दवा देने से किडनी रोगियों में क्रिएटिनिन, यूरिया और यूरिक एसिड की मात्रा में कमी आई है। जबकि जिन दूसरे समूहों को यह दवा नहीं दी गई, उनमें किसी भी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला।
५ साइंस जर्नल- साइंस डायरेक्ट, गुगल स्कालर, एल्सवियर, पबमेड और स्प्रिंजर के डाटा बेस के आधार पर विशेषज्ञों ने सबसे पहले किडनी से जुड़े रिसर्च पेपर की समीक्षा की जो हर्बल दवाओं पर प्रकाशित हुए हैं। इसके बाद नीरी केएफटी का चयन किया जिसे भारतीय वैज्ञानिकों के सहयोग से एमिल फॉर्मास्युटिकल्स ने तैयार किया। एमिल के चेयरमेन केके शर्मा ने बताया कि यदि समय रहते इस दवा का इस्तेमाल शुरू हो जाए तो किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के चलते किडनी करीब-करीब कार्य करना बंद कर देती हैं। वह रक्त को फिल्टर नहीं कर पातीं जिससे शरीर में जहरीले अपशिष्ट जमा होने लगते हैं। लेकिन यह दवा किडनी के कार्य करने की क्षमता को खत्म होने से पहले फिर से सक्रिय करती है और उनके पूर्ण रूप से खराब होने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है। इसी प्रकार डायलिसिस पर जा चुके मरीज के डायलिसिस संख्या में भी कमी लाने में कारगर है।
अध्ययन में एक और प्रभाव पता चला है कि नीरी केएफटी आक्सीडेटिव और इंफ्लामेंट्री स्ट्रैस को भी कम करने में कारगर है। आक्सीडेटिव स्ट्रैस तब होता है जब शरीर में एंटी आक्सीडेंट और फ्री रेडिकल तत्वों का तालमेल बिगड़ जाता है। इससे शरीर की पैथोजन के खिलाफ लड़ने की क्षमता घटने लगती है। इसी प्रकार इंफ्लामेंट्ररी स्ट्रैस बढ़ने से भी शरीर का प्रतिरोधक तंत्र किसी भी बीमारी के खिलाफ नहीं लड़ पाता है। नीरी केएफटी इन दोनों प्रकार के तनाव को दुरुस्त करने में कारगर पाई गई है।
दरअसल डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंसन (सीडीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 15 फीसदी लोग किडनी की बीमारी की चपेट में हैं। भारत में मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप से ग्रस्त करीब 40 फीसदी लोग क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से जूझ रहे हैं। वहीं कोविड-19 महामारी के बाद से इन मरीजों को समय पर इलाज मिलना और अधिक चुनौतिपूर्ण हुआ है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रो. कमल नयन द्विवेदी का कहना है कि इस दवा में एंटी ऑक्सीडेंट के अलावा कई प्रभावी औषधियां हैं। इनसे न सिर्फ किडनी बल्कि लिवर को भी मजबूती मिलती है। यह काफी बेहतर और यूनिक दवा है जिसे हमने अपने अध्ययन में भी काफी कारगर पाया है।