New Home Isolation Guidelines: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के लिए होम आइसोलेशन (Home isolation) की नई गाइडलाइंस को जारी किया है. इसमें मरीजों के लिए नए नियम बताए गए हैं.
New Corona Guide Lines : जो कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में रहेंगे उन्हें अगर पिछले तीन दिनों में यदि बुखार नहीं आया तो उनको छुट्टी दे दी जाएगी। उन्हें होम आइसोलेशन अवधि समाप्त होने के बाद पुन: परीक्षण कराने की कोई जरूरत नहीं होगी।
कोरोना के संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही कई सारे नियमों में बदलाव करने जा रही है. उसमें सबसे बड़ा बदलाव होम आइसोलेशन को लेकर बनाई गई गाइडलाइन में हुआ है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे जारी कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने हल्के/बिना लक्षण वाले कोरोना रोगियों के होम आइसोलेशन (Home Isolation) के लिए संशोधित गाइडलाइन जारी की है. मंत्रालय ने कहा, पॉजिटिव होने के सात दिन और तीन दिनों तक लगातार बुखार नहीं आने के बाद होम आइसोलेशन (Home Isolation New Rules) के तहत रोगी को छुट्टी दे दी जाएगी और आइसोलेशन खत्म हो जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि होम आइसोलेशन (Health Ministry Home Isolation Rules) की अवधि समाप्त होने के बाद दोबारा टेस्टिंग की कोई जरूरत नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले 9 दिनों में देश में कोरोना के मामले 6 गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है. ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के मामले तीन दिनों में डबल हो रहा है. अस्पताल की ओर लोग कम रूख करें. इसके लिए नया होम आइसोलेशन गाइडलाइन जरूरी है. स्वास्थ्य मंत्रालय इस बात को लेकर भी चिंतित की डेल्टा वेरिएंट ने जितनी तबाही भारत में मचाई, उतनी तबाही दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा वेरिएंट से नहीं हुई थी. ऐसे में ओमिक्रॉन भारत में क्या रूख करेगा इस लेकर उहापोह की स्थिति है.
अस्पताल में भर्ती होने को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय सजग
भारत में कोमॉर्बिड मरीजों (जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं) की तादाद अच्छी खासी है. ऐसे में मामले बढ़ेंगे तो अस्पताल में भर्ती होने की संख्या भी बढ़ेगी. होम आइसोलेशन की नई गाइडलाइन को प्रभावी रूप से अमल में लाने को लेकर राज्यों को कंट्रोल रूम दुरुस्त रखने को कहा गया है. कंट्रोल रूम का काम ये होगा कि राज्य इसके जरिए सही तरीके से मॉनिटरिंग कर पाएं और जब उस मरीज की तबीयत बिगड़े और उसे होम आइसोलेशन से अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़े तो ऐसे हालात में एंबुलेंस, टेस्टिंग से लेकर अस्पताल में बेड आसानी से मिल पाए.
क्या हैं होम आइसोलेशन के नए नियम
बुजुर्ग मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाएगी. हल्के लक्षण वाले मरीज घर पर रहेंगे. इसके लिए प्रॉपर वेंटिलेशन रहना जरूरी है. मरीज को ट्रिपल लेयर मास्क पहनने की सलाह दी गई है. इसके अलावा, मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लेने की सलाह दी गई है. वहीं, ऐसे मरीज जो एचआईवी संक्रमित हैं या जिनका ट्रांसप्लांट हुआ हो और कैंसर के मरीज को डॉक्टर की सलाह के बाद ही होम आइसोलेशन में जाने की इजाजत होगी.
बिना लक्षण वाले और हल्के लक्षण वाले मरीज जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 93% से ज्यादा हो उन्हें होम आइसोलेशन में जाने की इजाजत होगी. माइल्ड और एसिम्प्टोमेटिक ऐसे मरीज जो होम आइसोलेशन में होंगे उनसे जिले स्तर पर कंट्रोल रूम को लगातार संपर्क में रहना होगा. कंट्रोल रूम उन्हें जरूरत पड़ने पर टेस्टिंग और हॉस्पिटल बेड समय पर मुहैया करवा सकेगा. मरीज को एस्टरॉयड लेने की मनाही है. इसके अलावा, सिटी स्कैन और चेस्ट एक्सरे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किए जाएंगे.
- बुजुर्ग मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर होम आइसोलेशन की अनुमति मिलेगी।
- हल्के लक्षण वाले मरीज घर पर ही रहेंगे। उनके लिए प्रॉपर वेंटिलेशन रहना जरूरी है।
- कोरोना मरीजों को ट्रिपल लेयर मास्क पहनने की सलाह दी गई है।
- मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल आहार लेने की सलाह दी गई है।
- एचआईवी संक्रमित, ट्रांसप्लांट कराने वाले और कैंसर के मरीज को डॉक्टर की सलाह पर ही होम आइसोलेशन में रखा जा सकेगा।
ये नियम जानना भी जरूरी
- बिना लक्षण वाले और हल्के लक्षण वाले मरीज जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 93 फीसदी से ज्यादा होगा उन्हें ही होम आइसोलेशन में जाने की इजाजत होगी।
- माइल्ड और एसिम्प्टोमेटिक मरीजों को जिला स्तर के कंट्रोल रूम के सतत संपर्क में रहना होगा।
- कंट्रोल रूम उन्हें जरूरत पड़ने पर टेस्टिंग और हॉस्पिटल बेड समय पर मुहैया करवा सकेंगे।
- मरीज को एस्टरॉयड लेने की मनाही है। सिटी स्कैन और चेस्ट एक्सरे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किए जाएंगे।
ये लक्षण हों तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लें
- तीन दिनों तक यदि लगातार बुखार 100 डिग्री फेरनहाइट से ज्यादा हो।
- यदि सांस लेने में मुश्किल और सांस फूलने लगे।
- शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिरकर 93 फीसदी से कम हो जाए।
- श्वसन दर प्रति मिनट 24 हो।
- सीने में लगातार दर्द या दबाव महसूस हो।
- मानसिक भ्रम की स्थिति बने।
- गंभीर थकान व बदन दर्द हो।