खबरी इंंडिया, गोरखपुर। 13 दिनों तक आमरण अनशन पर रहे डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने पिछले दिनों जिलाधिकारी गोरखपुर को पत्र भेज कर अवगत कराया कि गोरखपुर प्रशासन द्वारा अभी तक अभी तक शोधार्थियों पर दर्ज मुकदमों एवं उनका निलंबन वापस नहीं लिया गया। अपर जिलाधिकारी नगर के आश्वासन पर मैंने अपना आमरण का त्याग अनशन तेहरवें दिन किया था, साथ ही मैंने अपना प्रत्यावेदन माननीय सर्वोच्च न्यायालय को भी प्रेषित किया था, जिस पर पर कार्यवाही करते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय ने मेरे प्रत्यावेदन को संज्ञान में लिया है। मैंने महामहिम कुलाधिपति/राज्यपाल को आज प्रेषित पत्र में कहा है कि
“महामहिम कुलाधिपति महोदया”
गणतंत्र भवन
उत्तरप्रदेश। लखनऊ।।
द्वारा
जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी महोदय
गोरखपुर।
पीआईएल स्वीकृत मा सर्वोच्च न्यायालय
“जिसके विरूद्ध लोकायुक्त जांच संस्थित हो उनको कुलपति कैसे बनाया जा सकता”
“एक सिपाही की नियुक्ति भी जांच के बाद ही की जाती है। फिर वीसी जिनके भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकायुक्त जांच है उनको दूसरे विवि का वीसी कैसे बनाया जा सकता? हमें कुछ लोकतंत्र एवं संविधान कल के लिए भी छोड़ना चाहिए ताकि आने वाली पीढियां लोकतंत्र एवं संविधान में जी सकें।”
विद्यासंकुलों की अधिष्ठात्री’
वीसी को हटाते हुए उनके विरुद्ध जांच समिति गठित करने की मांग को लेकर मैंने 27 जनवरी से आमरण अनशन प्रारंभ किया था।। इस बीच परम सम्माननीय मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक याचिका अनशन के12वें दिन प्रेषित करते हुए यह निवेदन किया कि जिसके विरूद्ध भ्रष्टाचार की लोकायुक्त जांच संस्थित हो उनको कुलपति कैसे बनाया जा सकता।14 फरवरी, SCI/PIL 2022 मा. सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकृत ।
PIL”यदि ऐसा कोई कानून ,जो जांच में फंसे किसी व्यक्ति को वीसी जैसे सम्मानित पद प्रदान करने की अनुमति देता है तो मैं ऐसे कानून का बार-बार उल्लंघन करता हूं। जब पूर्णिया में कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह के विरुद्ध जांच संस्थित है ऐसी दशा में इनको दीदयू विश्वविद्यालय गोरखपुर का कुलपति क्यों और किस संवैधानिक बाध्यता में बनाया गया?
महोदया आपने ‘राग’ ‘द्वेष’ से रहित होकर काम करने की शपथ ली है।जीती मक्खी कैसे निगल रही हैं ?
याचिका के आलोक में कुलपति प्रो राजेश कुमार सिंह को तत्काल पदच्युत किया जाए। इनको पद पर बनाए रखने का अर्थ है एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी। दीदयू विवि गोरखपुर के विद्यार्थियों आचायों बुद्धिजीवियों द्वारा कुलपति की बर्खास्तगी एवं इनके विरुद्ध जांच समिति गठित करने की मांग की जा रही है। इसे देखते हुए सीबीआई जांच कराई जाए।
8 मार्च तक वीसी की बर्खास्तगी की प्रतीक्षा करूंगा अन्यथा पुनः सत्याग्रह प्रारंभ करूंगा। हमारे प्राण रक्षा की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन पर होगी,कयोंकि 13 दिन के अनशन में 9 दिन मुझे हॉस्पिटल में रखा गया। जिला चिकित्सालय से मेडिकल कॉलेज तक मेरे साथ जो कुछ हुआ उससे मैं भयभीत हूं।