
कानपुर। इत्र कारोबारी पीयूष जैन के आनंदपुरी स्थित आवास से मिले 177.45 करोड़ रुपये की नकदी को डीजीजीआई (महानिदेशालय जीएसटी इंटेलीजेंस) अहमदाबाद ने टर्नओवर की रकम माना है। डीजीजीआई की ओर से कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों से इसकी पुष्टि हुई है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि जानबूझकर या अनजाने में अफसरों ने केस को कमजोर कर दिया है।
डीआरआई (डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) की जांच में पता चला है कि पीयूष जैन ने कारोबार में लेने देन का भी नया तरीका निकाल लिया था। विदेश और खासकर दुबई में परफ्यूम का रॉ मेटिरियल भेजने के बाद वो पेमेंट गोल्ड बिस्किट के तौर पर लेता था। सूत्रों के अनुसार डीआरआई को इस संबंध में सबूत भी मिल गए हैं। जांच एजेंसियों को शक है कि जितना भी गोल्ड पीयूष जैन के आवास और फैक्ट्री से बरामद किया गया है वो भी उसी का तरह के पेमेंट के बदले आया है।
दुबई के साथ ही पीयूष जैन का कारोबार सिंगापुर में फैला था। वो वहां भी परफ्यूम का रॉ मैटीरियल या कहें चंदन का तेल एक्सपोर्ट किया करता था। इसके बदले में सिंगापुर से भी उसे गोल्डं में ही पेमेंट होता था। डीआरआई को शक है कि पीयूष जैन पेमेंट का ये तरीका इसलिए रखता था जिससे वो टैक्स बचा सके और किसी की नजर में ना आए।
अब डीआरआई लगातार कारोबारी पीयूष जैन पर शिकंजा कसती जा रही है। बताया जा रहा है कि 23 गोल्ड बार मिलने के मामले में अब डीआरआई जैन पर एक और केस दर्ज करने जा रही है।
ऐसे में पीयूष सिर्फ पेनाल्टी की रकम अदा कर जमानत हासिल कर सकता है। इससे आयकर विभाग भी काली कमाई मामले में कार्रवाई नहीं कर पाएगा। 22 दिसंबर को डीजीजीआई अहमदाबाद की टीम ने शिखर पान मसाला, ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन और फिर इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर छापा मारा था।
इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि शिखर पान मसाला के मालिक ने इत्र कारोबारी की कंपनी से बिना बिल के बड़े पैमाने पर कंपाउंड खरीदा था। गुजरात में पकड़े गए चार ट्रकों से इसकी पुष्टि हुई। इसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया। पीयूष को पहले हिरासत में लिया गया और शुक्रवार रात गिरफ्तारी दिखाई गई थी।
पूछताछ के दौरान दौरान पीयूष ने बताया था कि जो नकदी उसके आनंदपुरी स्थित आवास से मिली है, वह चार-पांच साल में कंपाउंड कारोबार से कमाई गई है। उसने यह भी स्वीकार किया कि 177 करोड़ की नकदी पर कर नहीं अदा किया।
अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पीयूष जैन के घर से मिले सोने के बिस्किटों पर से सीरियल नंबर मिटाने की कोशिश भी की गई है. बताया जा रहा है कि सीरियल नंबर की गुदाई को घिस घिसकर मिटाया गया है। वहीं शुरुआती जांच में पता चला है कि सोने के बिस्कि ट भी ज्यादा पुराने नहीं हैं और ये नए ही हैं। एजेंसी को शक है कि इसमें से ज्यादातर सोना दुबई से तस्करी कर मंगवाया गया है।
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