नई दिल्ली: कोरोना का नया ओमीक्रॉन वेरिएंट दुनियाभर के कई देशों में कहर बरपा रहा है। खासकर दक्षिण अफ्रीका में इसके केस लगातार बढ़ रहे हैं। मुंबई मेयर किशोरी पेडनेकर ने शनिवार को घोषणा की कि दक्षिण अफ्रीका से लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शहर में आने पर क्वारंटाइन किया जाएगा और उनके नमूने टेस्ट के लिए लैब भेजे जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए मुंबई हवाई अड्डे पर नए प्रतिबंध जल्द ही लागू होने की संभावना है।
लंदन स्थित यूसीएल जेनेटिक्स इंस्टीट्यूट के एक वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना का यह वेरिएंट पहली बार कहां से आया, यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। संभवतः कि किसी एचआईवी/एड्स मरीज में इम्यूनो कंप्रोमाइज्ड शख्स से क्रोनिक इन्फेक्शन हुआ हो। अफ्रीकी देशों में इसके कुछ मामले मिले हैं।
यह वेरिएंट बेहद तेजी से 30 बार म्यूटेट होता है, जो ज्यादा टेंशन की वजह है। अल्फा, बीटा और डेल्टा वेरिएंट की तुलना में यह खतरनाक तरीके से मरीजों को अपनी जद में लेता है।
यह डेल्टा से 7 गुना तेजी से फैल रहा है। यही नहीं, यह तेजी से म्यूटेट भी हो रहा है। पकड़ में आने से पहले ही इसमें 32 म्यूटेशन हो चुके हैं। इसे देखते हुए यूरोपीय यूनियन के सभी 27 देशों ने 7 अफ्रीकी देशों से उड़ानों पर रोक लगा दी है। इधर, भारत में नए वैरिएंट का कोई केस नहीं मिला है। फिर भी सिंगापुर, मॉरीशस समेत 12 देशों से आने वाले यात्रियों की गहन जांच होगी।
गुरुवार को देश में 10,549 नए संक्रमित मिले, जो एक दिन पहले के मुकाबले 15.6 फिसदी अधिक हैं। 488 मौतें हुईं। इनमें से 384 केरल में हुईं। देश में सक्रिय मरीज 1,10,133 हैं, जो कुल मरीजों के 0.32 फिसदी हैं और 539 दिनों में न्यूनतम हैं। देश में 49 दिन से लगातार 20 हजार से कम नए केस मिल रहे हैं।
वर्तमान में भारत केवल उन्हीं देशों से उड़ानों की अनुमति दे रहा है जिनके साथ उसका एयर बबल समझौता है। ओमीक्रॉन वेरिएंट से ग्रसित दक्षिण अफ्रीका उनमें शामिल नहीं है। केंद्र द्वारा 26 नवंबर को जारी एक सर्कुलर में ‘एट रिस्क’ श्रेणी से संबंधित देशों की सूची की पहचान की गई है। 15 दिसंबर से इन देशों से आने वाले यात्रियों को भारत पहुंचने पर अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी, जिसमें आरटीपीसीआर टेस्ट भी शामिल है। इस सूची में दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और यूनाइटेड किंगडम और अन्य यूरोपीय देश भी शामिल हैं।
वायरस इंसान की कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल करते हैं। वैक्सीन शरीर को इन स्पाइक को पहचानने और उन्हें बेअसर करने के लिए तैयार करती है। बी.1.1.529 वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 32 वैरिएंट हैं। इससे वैज्ञानिक चिंतित हैं, क्योंकि म्यूटेशन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचकर अगली लहर का कारण बनता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट से यह कितना खतरनाक है, यह जानने के लिए इस पर रिसर्च की जरूरत है। अब तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह कोविड वैक्सीन को बेअसर कर सकता है या नहीं। टीके के अभाव में अफ्रीकी देशों में वैक्सीनेशन की दर कम है और यह स्ट्रेन वहीं से आने की बात कही जा रही है।