
लखनऊ
कैंट सीट भाजपा का किला मानी जाती है। इस सीट से लगातार दो बार विधायक रहीं डॉ. रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट की पैरवी कर रही हैं। वहीं, मेयर संयुक्ता भाटिया ने अपनी बहू रेशू भाटिया के लिए खेमेबंदी शुरू कर दी है। वहीं, इस सीट पर किसी वीआईपी को पैराशूट प्रत्याशी बनाए जाने की भी अटकलें हैं। चर्चा है कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को बीजेपी यहां से टिकट दे सकती है। दरअसल, डिप्टी सीएम डॉ़. दिनेश शर्मा के चुनाव लड़ने का भी ऐलान हो गया है। कैंट सीट उनकी पसंदीदा सीटो में एक मानी जा रही है। इस बीच कैंट से निवर्तमान विधायक सुरेश तिवारी ने भी टिकट की दावेदारी करते हुए जनसंपर्क शुरू कर दिया है।
कौन हैं अपर्णा यादव
इससे पहले सुबह करीब साढ़े दस बजे मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव बीजेपी मुख्यालय पहुंचीं। गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता हैं। इन्हीं के बेटे प्रतीक यादव की शादी अपर्णा यादव से हुई है। 2017 विधानसभा के दौरान साधना गुप्ता ने खुलकर मुलायम सिंह से प्रतीक यादव के लिए टिकट मांगा था। हालांकि बाद में प्रतीक यादव ने राजनीति में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस पर साधना के परिवार से अपर्णा सक्रिय राजनीति में आ गईं।
2017 में लखनऊ कैंट से लड़ा था चुनाव
अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. अपर्णा ने साल 2017 में विधासभा चुनाव में लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. लेकिन वो बीजेपी की रीटा बहुगुणा जोशी से हार गई थीं. पिछले कुछ दिनों से अपर्णा के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं.
कैंट सीट से बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी पिछले दो बार से विधायक हैं। वह अपने बेटे मयंक जोशी के टिकट के लिए पैरवी कर रही हैं। इस बीच चर्चा है कि बीजेपी इस सीट से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को उतार सकती है।
बेटे के टिकट के लिए संन्यास को तैयार डॉ. रीता बहुगुणा
डॉ. रीता बहुगुणा जोशी कैंट से अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट मांग रही हैं। परिवारवाद का आरोप न लगे, इसके लिए खुद सक्रिय राजनीति से संन्यास तक लेने को तैयार हैं। उन्होंने बकायदा आलाकमान को भी लिखा है। सूत्रों के मुताबिक, पत्र में उन्होंने मयंक जोशी के मल्टीनैशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर साल 2019 में लखनऊ आने और बीजेपी संगठन के लिए किए गए कामों की पूरी सूची भी भेजी है। इस सीट पर डॉ. रीता का अच्छा प्रभाव माना जाता है। उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर साल 2012 में सुरेश तिवारी को करीब 22 हजार वोटों से हराया था। फिर साल 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा की प्रत्याशी अपर्णा यादव को 34 हजार वोटों से शिकस्त दी। साल 2019 में लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद से जीत दर्ज की तो यह सीट खाली हो गई। इसके बाद उपचुनाव में बीजेपी के सुरेश तिवारी ने यहां जीत हासिल की।
बहू के लिए खेमेबंदी कर रहीं मेयर संयुक्ता भाटिया
मेयर संयुक्ता भाटिया अपनी बहू रेशू भाटिया को कैंट से टिकट दिलाने के लिए खेमेबंदी कर रही हैं। जानकारों की मानें तो इसके लिए दिल्ली दरबार से संघ के बड़े पदाधिकारियों तक संपर्क तेज कर दिया है। इस विधानसभा क्षेत्र में सिंधी, पंजाबी और पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए लोगों की बड़ी आबादी है। माना जाता है, इस आबादी में भाटिया परिवार की बड़ी पहुंच है। इसके अलावा संयुक्ता भाटिया के बेटे प्रशांत को संघ परिवार के कई बड़े पदाधिकारियों का करीबी माना जाता है।
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