• November 8, 2024
 झारखंड: सोलर सिटी के रूप में विकसित होगा गिरिडीह, 191 करोड़ की योजना मंजूर, 41 मेगावाट बिजली का होगा उत्पादन

रांची: झारखंड के गिरिडीह को राज्य की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की योजना पर शीघ्र काम शुरू हो जायेगा। केंद्र और राज्य की इस संयुक्त योजना पर झारखंड सरकार ने हामी भर दी है। पूरी योजनाकी लागत लगभग 191 करोड़ है, जिसका 60 प्रतिशत झारखंड सरकार और 40 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी। लक्ष्य यह है कि शहर की बिजली संबंधी तमाम जरूरतें सौर ऊर्जा के जरिए पूरी की जायें।

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बता दें कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में कम से कम एक शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनायी है। केंद्र सरकार के नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने राज्य सरकारों को सोलर सिटी योजना के लिए ऐसे शहर का चुनाव करने को कहा था जो या तो राज्य का मुख्यालय हो अथवा कोई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हो। प्रसिद्ध पर्यटनस्थल पारसनाथ-मधुबन को ध्यान में रख कर झारखंड सरकार ने इसके लिए गिरिडीह को चुना है। योजना के पहले चरण में इस पर होने वाले 80.75 करोड़ के बजट को राज्य सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए राज्य सरकार ने झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलमेंट एजेंसी (ज्रेडा) को नोडल एजेंसी बनाया है।

गिरिडीह शहर की ऊर्जा संबंधी जरूरतों का जो आकलन किया गया है, उसके अनुसार शहर को कुल 41 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है। गिरिडीह शहर में बिजली के कुल 29 हजार 858 कनेक्शन हैं, जिनकी कुल लोड क्षमता 40 हजार 925 किलोवाट है। ज्रेडा के अधिकारियों ने बताया कि आवासीय क्षेत्र, औद्योगिक व्यावसायिक एवं शैक्षणिक संस्थान सभी की जरूरतें सौर ऊर्जा के जरिए पूरी की जायेंगी। इसके लिए बिना बैटरी वाले रूफटॉप सोलर पैनल लगाये जायेंगे।

लोगों से सोलर पैनल के लिए उनकी वार्षिक आय के अनुसार शुल्क लिया जायेगा। लाभुक की वार्षिक आय तीन लाख रुपए से कम होने पर 60 प्रतिशत राज्य सरकार और 40 प्रतिशत केंद्र सरकार सहायता अनुदान के रूप में वहन करेगी। इसी प्रकार वार्षिक आय तीन लाख रुपए से अधिक होने पर 30 प्रतिशत राज्य सरकार और 40 प्रतिशत केंद्र सरकार सहायता अनुदान के रूप में वहन करेगी। ऐसे उपभोक्ताओं को 30 प्रतिशत का वहन करना होगा। ज्रेडा के अधिकारियों ने बताया कि छह माह के अंदर सोलर पैनल लगाने का कार्य शुरू होगा और इसे अगले छह महीने में पूरा किया जाएगा। आगामी 2024 तक शहर की ऊर्जा संबंधी सभी जरूरतें इसी के जरिए पूरी होंगी।

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