• January 21, 2025
 अगले तीन साल में देश में 15.7 लाख होंगे कैंसर के मरीज, इनमें सबसे ज्यादा तंबाकूसेवी होंगे प्रभावित

कैंसर

  • कैंसर किसी भी अंग में असामान्य एवं अनियंत्रित बढ़ोतरी को कैंसर का नाम दिया जाता है।
  • अगले तीन सालों यानी 2025 तक भारत में कैंसर पीड़ितों की संख्या 15.7 लाख से ऊपर पहुंच जाएगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक 7.6 लाख पुरुषों के कैंसरग्रस्त होने का अनुमान है

खबरी इंडिया, गोरखपुर। कैंसर एक ऐसी भयावह बीमारी है जिसका नाम आते ही बीमार और उसके तीमारदार दोनों में दहशत व्याप्त हो जाती है। आईसीएमएआर के आंकड़े बताते हैं कि अगले तीन सालों यानी 2025 तक भारत में कैंसर पीड़ितों की संख्या 15.7 लाख से ऊपर पहुंच जाएगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक 7.6 लाख पुरुषों के कैंसरग्रस्त होने का अनुमान है। वहीं महिलाओं की सख्या 8 लाख केस होने का अनुमान है।

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डेटा की मानें तो देशभर में सबसे ज्यादा मामले टोबैको से जुड़े हैं, करीब 27 फीसदी। उसके बाद गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट कैंसर के 19.7 फीसदी मामले सामने आए हैं। नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में टोबैको रिलेटेड मामले सबसे ज्यादा हैं अरुणाचल प्रदेश में 74 साल की उम्र के हर चार में से एक व्यक्ति कैंसर पीड़ित है या कैंसर की जद में है। आईसीएमएआर की रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर से मरने वाले पुरुषों में 25 फीसदी की मौत ओरल कैविटी और फेफड़े के कैंसर से होती है, जबकि महिलाओं में 25% मौत ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) और ओरल कैविटी (मुंह के कैंसर) से होती है।

 


डॉ. जे बी शर्मा, एचओडी और वरिष्ठ सलाहकार, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, एक्शन कैंसर अस्पताल दिल्ली

डॉ. जे बी शर्मा, एचओडी और वरिष्ठ सलाहकार, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, एक्शन कैंसर अस्पताल दिल्ली ने बताया कि स्तन कैंसर महिलाओं में कॉमन पाया जाना वाला कैंसर है। इसमें स्तन में गांठ हो जाती है। गांठ का पता स्वत: भी लगा सकते है। जैसे ही स्तन में गांठ महसूस हो इसका तत्काल मेमोग्राफी के जरिए जांच करा लेनी चाहिए कि गांठ किस तरह की है।

  • स्तन में गांठ या मस्से
  • पूरे स्तन या किसी हिस्से में सूजन
  • जलन/त्वचा का लाल होना
  • त्वचा का मोटा होना
  • त्वचा की बनावट में बदलाव
  • निप्पल से किसी भी तरह के असामान्य तरल निकालने को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। साथ ही,
  • निप्पल का अंदर की ओर को दबना भी स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है
  • अगर निप्पल में दर्द हो तो उसकी भी चिकित्सा करानी चाहिए।

फेफड़े का कैंसर कारण और लक्षण : दरअसल जब शरीर की कोशिकों अनियंत्रित रूप से बढ़कर एक गांठ का रूप धारण कर लेती हैं उसे ही कैंसर कहते हैं। जब फेफड़े की कोशिकाएं गांठ का रूप धारण कर लेती हैं तो उन्हें फेफड़े का कैंसर कहते हैं। अधिकांश मामलों में फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान (सिगरेट पीना) पाया गया है। मगर आजकल ऐसे लोगों में भी फेफड़े का कैंसर पाया जा रहा है जो सिगरेट कभी पीते ही नहीं हैं। दरअसल शुरुआती दौर में फेफड़े के कैंसर को टीवी समझ कर लोग इलाज कराते हैं। इसी गफलत में यह भयावह रूप ले ले लेता है और जब तक पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है।

फेफड़े के कैंसर के लक्षण :

  • लंबे समय तक खांसी का रहना
  • छाती में दर्द
  • सांस लेने में कठिनाई
  • खांसी में खून आना
  • हर समय थकान महसूस होना
  • अकारण वजन कम होना
  • भूख न लगना
डा. नीरज गोयल, क्लिनिकल लीड और वरिष्ठ सलाहकार, जीआई ऑन्कोलॉजी और जीआई सर्जरी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नई दिल्ली

डा. नीरज गोयल, क्लिनिकल लीड और वरिष्ठ सलाहकार, जीआई ऑन्कोलॉजी और जीआई सर्जरी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नई दिल्ली ने बताया कि कैंसर किसी भी अंग में असामान्य एवं अनियंत्रित बढ़ोतरी को कैंसर का नाम दिया जाता है।
हर प्रकार के कैंसर के कुछ लक्षण होते हैं जिन्हें हमें जल्द से जल्द पहचान कर डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराना चाहिए।
पेट का कैंसर -:
इसमें हम खाने की नली, अग्न्याशय, लीवर, पित की थैली, पैंक्रियास और छोटी एवं बड़ी आंत के कैंसरों को सम्मिलित करते हैं।
इनके प्रमुख लक्षण हैं:-
खाने का अटकना, पेट में जलन, उल्टी , पीलिया एवं दर्द।
मल में खून, कब्ज का होना। ये सभी पेट के कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं।
अगर इनमें से कोई भी लक्षण अगर ज्यादा समय तक रह रहा है तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।

कैंसर रोगियों को कोरोना से बचाव की ज्यादा जरूरत:

*डॉ इंदु बंसल, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम

डॉ इंदु बंसल, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम  ने गंभीर बीमारी वाले मरीजों ने महामारी के दौरान बहुत कुछ सहा है. कैंसर के मरीज, उनके परिजन और तीमारदार कोविड-19 महामारी से अछूते नहीं रहे हैं। आम आबादी के मुकाबले कैंसर के मरीजों को संक्रमण का ज्यादा खतरा है। संक्रमित होने पर कोविड-19 का शिकार होने की अधिक संभावना है. इस तरह, संक्रमण का डर उन्हें समय पर इलाज कराने से दूर रख सकता है।
‘कैंसर के रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए उनके लिए हर समय कोविड के उचित व्यवहार का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। हम वर्तमान कोविड की स्थिति के कारण कैंसर के इलाज में किसी भी देरी की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि रोग उच्च स्तर तक बढ़ सकता है जो बीमारी को लाइलाज बना सकता है। जिन रोगियों का सक्रिय उपचार चल रहा है, उन्हें अपनी कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जारी रखनी चाहिए। हालांकि, जो मरीज ठीक हो गए हैं और उनमें कोई सक्रिय लक्षण नहीं हैं, वे टेली-परामर्श ले सकते हैं और इलाज करने वाले ऑन्कोलॉजिस्ट के परामर्श के बाद अपनी नियमित जांच करवाएं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ठीक से टीका लगवाएं, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और शौचालय की स्वच्छता बनाए रखें। पेशेंट हर समय मास्क पहनें। याद रखें कि सभी हास्पिटल अपने कैंसर रोगियों की सुरक्षा के लिए सभी सावधानी बरत रहे हैं, इसलिए डरें नहीं और अपने लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और कैंसर का इलाज कराते रहें।”

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