
राम गुलाम राय शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय, गोरखपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर शैक्षिक विकास का आधार मातृभाषा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
–अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर शैक्षिक विकास का आधार मातृभाषा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया
खबरी इंंडिया, गोरखपुर। राम गुलाम राय शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय, गोरखपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर शैक्षिक विकास का आधार मातृभाषा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि सिद्धार्थनगर स्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सच्चिदानंद चौबे ने कहा कि मातृभाषा वह भाषा है जो मनुष्य बचपन से मृत्यु तक बोलता है। घर परिवार में बोली जाने वाली भाषा ही हमारी मातृभाषा है।
उन्होंने कहा कि भाषा संप्रेषण का एक माध्यम होती है, जिसके द्वारा हम अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं और अपनी मन की बात किसी समक्ष रखते हैं। जो शब्द रूप में सिर्फ अभिव्यक्ति ही नहीं बल्कि भाव भी स्पष्ट करती है। एक नन्हा सा बालक अपने मुख से वही भाषा बोलता है जो उसके घर परिवार में बड़े लोग बोलते हैं। इस भाषा का प्रयोग करके वह अपने विचारों को अपने माता पिता को अपने मुख से उच्चारण करके बताता है।
उसका भाषा ज्ञान सीमित होता जाता है। भाषा ज्ञान की प्राप्ति का वह मार्ग है जिसके जरिए व्यक्ति दैनिक जीवन में प्रयोग करके सफलता प्राप्त करता है। भाषा के बिना मनुष्य जानवर के समान है जो देख तो सकता है पर अपने अंदर छिपी भावनाओं को कह नहीं सकता।
परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुुए महाविद्यालय के प्राचार्य एवं प्रांत संयोजक जिला संस्कृति उत्थान न्यास गोरक्षप्रांत डॉ विनय मिश्रा ने कहा कि भारत जैसे विशाल एवं बहुभाषिक देश में शैक्षिक उन्नयन का मार्ग मातृभाषा के विकास, विस्तार एवं विशेषकर अध्ययन की सारी विधाओं में प्रयोग के द्वारा ही संभव है। यह सामान्य सा भाव है कि हम जिस भाषा में किसी भी विषय पर चिंतन करते हैं उसे समाज में प्रकट करने में अत्यंत सरल एवं सहजता होती है। दुर्भाग्य से अपने देश में भाषाओं को एक दूसरे के समक्ष प्रतिद्वंदिता स्थापित कर भाषा की अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगाना चलन सा हो गया है। इससे हम सभी को ऊपर उठना होगा तथा मातृभाषा के प्रति समर्पण एवं संकल्प सोच विकसित करनी होगी।
परिचर्चा में विशिष्ट अतिथि के रुप में बोलते हुए डॉ प्रागेश मिश्रा प्रांत संयोजक मातृभाषा में शिक्षा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास गोरक्षप्रांत एवं आचार्य गुरु गोरखनाथ संस्कृत पीजी कॉलेज गोरखपुर ने कहा कि हिंदी न सिर्फ भारत देश में वर्णन है बल्कि दुनिया भर में रहने वाले हिंदुस्तानियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा है। किंतु दुर्भाग्य है कि इस भाषा का उपयोग करने वाले कथित जन ही अपनी मातृभाषा के प्रति हीन भाव को व्यक्त करने में संकोच नहीं करते हैं। मातृभाषा के प्रति महात्मा गांधी कहते हैं कि हृदय की कोई भी भाषा नहीं है। ह्रदय हृदय से बातचीत करता है और हिंदी ह्रदय की भाषा है। यह पूर्ण सत्य है कि हिंदी में वह क्षमता है जो आंखों से बहते आंसू धारा का वर्णन इस रूप में करती है कि उसे पढ़ने वाले पाठक को आंसू बहा रहे व्यक्ति की स्थिति का बोध हो जाता है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक संजय कुमार गुप्ता, अतुल पाल सिंह, धर्मेंद्र कुमार, महबूब आलम, प्रियंका राय, रेनू सिंह, अर्चना पांडे, मंजुला राय ने अपने विचार प्रस्तुत किए। परिचर्चा का प्रारंभ मां सरस्वती की, स्व राम गुलाम राय एवं भारत माता के चित्र पर आगत अतिथियों द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। समारोह का संचालन अभिषेक कुमार पांडे शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास गोरक्ष प्रांत ने किया।
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