
घूंघट, पगड़ी और क्रॉस के बारे में क्या? ” : कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब मामले पर सुनवाई
Hijab Row: कर्नाटक HC में हिजाब पर सुनवाई के दौरान घूंघट, पगड़ी और क्रॉस पर भी उठे सवाल, कल फिर होगी Hearing
सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कोर्ट में कहा कि हिजाब पर कोई पाबंदी नहीं है और सवाल यह उठता है कि किस अधिकार या नियम के तहत छात्राओं को कक्षा से बाहर रखा गया.
कर्नाटक हाईकोर्ट में (Karnataka High Court) शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध (Hijab ban) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज की सुनवाई खत्म हो चुकी है. आज भी इस मामले में कोई ठोस हल नहीं निकला. कल कर्नाटक हाइकोर्ट में फिर इस मामले में सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि हस्तक्षेप आवेदन पर विचार करने का प्रश्न कहां है? यह एक रिट याचिका (writ petition) है न कि जनहित याचिका (PIL). इस तरह के आवेदन न्यायालय का समय बर्बाद करेंगे और हमें प्रथम दृष्टया लगता है कि वे अनुरक्षण योग्य नहीं हैं. इस पर याचिकाकर्ता के वकील शादान फरासत ने कहा कि आधिपत्य हम पर समय सीमा लगा सकता है. मैं इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय कानून और दायित्वों को प्रस्तुत करने जा रहा हूं. मुझे यकीन है कि कोई और इस पर बहस नहीं कर रहा है. कृपया समय सीमा लागू करें, लेकिन हमें बाहर न करें.
किस नियम के तहत छात्राओं को कक्षा से बाहर रखा गया- सीनियर एडवोकेट कुमार
सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कोर्ट में कहा कि हिजाब पर कोई पाबंदी नहीं है और सवाल यह उठता है कि किस अधिकार या नियम के तहत छात्राओं को कक्षा से बाहर रखा गया. कुमार ने आगे कहा कि सरकार अकेले हिजाब क्यों चुन रही है. चूड़ी पहने हिंदू लड़कियों और क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़कियों को क्लास से बाहर क्यों नहीं भेजा जाता है. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कहा कि क्या आप छात्रों के कल्याण को किसी राजनीतिक दल या राजनीतिक विचारधारा को सौंप सकते हैं? वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, कॉलेज विकास समिति के पास छात्रों के खिलाफ पुलिस जैसे अधिकार नहीं हो सकते हैं. बता दें कि मंगलवार को स्कूलों में हिजाब पहनी छात्राओं को क्लास से बाहर कर दिया गया था. जिसके बाद उनके माता-पिता ने स्कूल में जमकर हंगामा किया था.