गोरखपुर। अमेरिका और जापान की तकनीक से देश के दिमाग ने आठ हजार करोड़ रुपये का खाद कारखाना तैयार किया है। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना में 10 जून 1990 वाली किसी गलती की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है। अफसरों, कर्मचारियों और नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर मशीनों को लगाया गया है। वर्ष 1990 की तरह अब अगर कभी अमोनिया का रिसाव हुआ तो मशीन का अलार्म बजने लगेगा और जिस जगह से रिसाव हो रहा है उसके आगे-पीछे अमोनिया को रोक दिया जाएगा। तत्काल पानी की फुहार अमोनिया पर गिरने लगेगी और कुछ ही देर में अमोनिया रिसाव पर काबू पा लिया जाएगा।
खाद बनाने के साथ ही आसपास के क्षेत्रों का विकास भी करेगा कारखाना प्रबंधन
प्रबंध निदेशक ने बताया कि एचयूआरएल गोरखपुर के नागरिकों के साथ भी जुड़ा है। दो आक्सीजन प्लांट, सामुदायिक भवन, 24 करोड़ की लागत से बच्चों के लिए आइसीयू, 12 स्कूलों में शुद्ध जल की व्यवस्था, सोनबरसा में 13 करोड़ की लागत से माडल गांव, रामगढ़ताल का सुंदरीकरण कर मुंबई के मरीन ड्राइव की तरह बनाने समेत अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। इस दौरान सीनियर वाइस प्रेसीडेंट वीके दीक्षित, एजीएम प्रोजेक्ट एसबी सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक सुबोध दीक्षित आदि मौजूद रहे।
हो चुका है हादसा
10 जून 1990 को खाद कारखाना में अचानक अमोनिया का रिसाव शुरू हो गया। तकनीक बहुत अपडेट न होने के कारण काफी देर तक रिसाव बंद नहीं कराया जा सका। इस कारण एक कर्मचारी की मौत हो गई। इसी के बाद स्थानीय स्तर पर खाद कारखाना को और सुरक्षित बनाने के लिए आंदोलन शुरू हुआ। इसके बाद कारखाना कभी चल नहीं सका। वर्ष 2002 में केंद्र सरकार को इसे बंद करने की घोषणा करनी पड़ी थी। तब सांसद और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाना का शिलान्यास किया।
सब कुछ आटोमेटिक
एचयूआरएल में यूरिया बनाने, यूरिया बनाने और इसे बोरे में पैक कर रेलवे के रैक में भरने की पूरी प्रक्रिया आटोमेटिक है। नीम कोटेड यूरिया की बिक्री के लिए खाद कारखाना प्रबंधन ने पहले ही नेटवर्क तैयार कर दिया है। आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से खाद कारखाना का निर्माण हुआ है।
अमेरिका-जापान से आयी हैं यह मशीन
कार्बामेट कंडेंसर– मशीन की लंबाई 29.9 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.9 मीटर है। मशीन का वजन 521 टन है।
अमोनिया कन्वर्टर- मशीन की लंबाई 36 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.61 मीटर है। इस मशीन का वजन 574 टन है। यह सबसे वजनी और लंबी मशीन है।
यूरिया स्ट्रिपर– मशीन की लंबाई 15.7 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.9 मीटर ह।ै इस मशीन का वजन 361 टन है।
यूरिया रिएक्टर– मशीन की लंबाई 27.4 मीटर, चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊंचाई 5.4 मीटर है। यह मशीन 352 टन की है।
46 महीने में पूरा हुआ काम
प्रबंध निदेशक ने बताया कि एचयूआरएल ने रिकार्ड समय में खाद कारखाना का निर्माण कराया। 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाना का शिलान्यास किया था। 27 फरवरी 2018 को काम शुरू कराया गया था। इसे बनाने के लिए 38 महीने का समय मिला था। कोरोना संक्रमण की दो लहर के कारण थोड़ी देर हुई। इसके बाद भी 46 महीने में काम पूरा करा लिया गया। खाद कारखाना में 13 लाख टन नीम कोटेड यूरिया का हर साल उत्पादन होगा।
खाद कारखाना के निर्माण में खर्च हुए हैं आठ हजार करोड़ रुपये
एचयूआरएल परिसर में प्रबंध निदेशक एके गुप्ता ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर पत्रकारों से बात की। उन्होंने बताया कि खाद कारखाना के निर्माण में आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए हैं। काम पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री के आने के पहले ट्रायल कर नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। प्रबंध निदेशक ने बताया कि एचयूआरएल को देश में तीन बड़े खाद कारखाना के निर्माण का काम सौंपा गया था। करीब 25 हजार करोड़ के इन प्लांटों में से गोरखपुर का प्लांट शुरू होने जा रहा है। दो अन्य प्लांट अगले साल अप्रैल से पहले शुरू हो जाएंगे। प्लांट में बना प्रीलिंग टावर विश्व में सबसे अधिक ऊंचा है। प्रीलिंग टावर से खाद के दाने नीचे आएंगे तो इनकी क्वालिटी सबसे अ’छी होगी। नीम कोटेड यूरिया से खेतों की उर्वरा शक्ति और बढ़ेगी।
लड़कियों के हाथ होगी कमान
प्रबंध निदेशक ने बताया कि खाद कारखाना में 30 फीसद से ज्यादा पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी दी गई है। इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है। यही लड़कियां खाद कारखाना चलाएंगी। रात में भी लड़कियां काम करेंगी।