• January 25, 2025
 लैंगिक असमानताएँ हैं बीमा जगत में महिलाओं के पीछे रहने का कारण

नई दिल्ली: हमारे देश में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं का नेतृत्व अभी भी कम है, जिसमें एक क्षेत्र बीमा जगत है। बीमा को लेकर यहां की महिलाएं अभी भी पर्याप्त रूप से जागरूक नहीं हैं और बीमा कराने के मामले में महिला उपभोक्ताओं की दर और भी कम है। जबकि, भारत की कुल आबादी का 49 फिसदी महिलाएं हैं। जिस कारण उनकी वित्तीय सुरक्षा कई गुना अधिक आवश्यक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज महिलाओं की भूमिका लगातार विकसित हो रही है और समाज तथा अर्थव्यवस्था में उनका योगदान एक भरण-पोषण करने वाली से लेकर कमाने तक का बन चुका है।

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व्यवसायी और व्यक्तिगत दोनों मामलों में मजबूत बन जाने के बावजूद, दुर्भाग्य से, महिलाएं अभी भी खुद का बीमा कराने और अपने आश्रितों के भविष्य को सुरक्षित करने की आवश्यकता को बहुत कम आंकती हैं। कई क्षमताओं में विविध भूमिकाएं निभाने से अब महिलाएं घर से लेकर देश की अर्थव्यवस्था तक के लिए महत्वपूर्ण बन चुकी हैं। और इसलिए, उनके लिए बीमा कराना और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। बीमा जगत और अधिकारियों ने महिलाओं के लिए बेहतर बीमा और उनकी ख़ास जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पादों को तैयार करने के लिए वर्षों से मिलकर काम किया है। यहाँ हम आपको बतायेंगें कि महिलाओं के लिए समय के साथ बीमा कैसे आकर्षक बना और महिलाओं तथा बीमा के बीच की दूरी को और कैसे कम किया जा सकता है।

बीमा बाजार में महिलाओं की भागीदारी
हमेशा से भारत में वित्तीय नियोजन और बीमा कवरेज के मामले में एक स्पष्ट लैंगिक अंतर रहा है। हालाँकि, इससे अलग, पॉलिसीबाजार के नवीनतम एफवाई 21-22 डेटा के अनुसार 45 फिसदी बीमा पॉलिसी 25-40 वर्ष की आयु वर्ग वाली महिलाओं द्वारा खरीदी गई है, जबकि 40-55 वर्ष की आयु वर्ग में महिलाओं की 30 फिसदी हिस्सेदारी पायी गई है। इस डेटा में यह भी बताया गया है कि 1 करोड़ रुपये की उच्च बीमा राशि का विकल्प चुनने वाली महिला उपभोक्ताओं की संख्या में सालाना आधार पर 45 फिसदी की वृद्धि हुई है, जो महिलाओं में स्वास्थ्य बीमा के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश महिलाएं व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में निवेश कर रही हैं। जहां 62 फिसदी महिलाओं ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजना का विकल्प चुना, वहीं शेष 38 फिसदी ने फैमिली फ्लोटर योजना में निवेश किया है। यह महिलाओं द्वारा अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर ध्यान देने का एक सकारात्मक संकेत है।

अडॉप्शन के मामले में जीवन बीमा उद्योग का प्रदर्शन कई गुना बेहतर है। आईआरडीएआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को लगभग 9.3 मिलियन जीवन बीमा पॉलिसी जारी की गईं, जो वित्त वर्ष 2021 में जारी की गई कुल 28.1 मिलियन नई पॉलिसियों का 33 फिसदी है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष हुई 32 फिसदी से ज्यादा की वृद्धि दर को दर्शाता है। स्वास्थ्य बीमा की तुलना में जीवन बीमा की जरूरतों के बारे में महिला उपभोक्ता महत्वपूर्ण रूप से जागरूक हैं, जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 के अनुसार लगभग 20 फिसदी महिलाओं को स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केरल, सिक्किम और आंध्र प्रदेश ऐसे राज्यों में से हैं जहाँ जीवन बीमा पॉलिसियों की सबसे अधिक महिला उपभोक्ता हैं, जबकि हरियाणा, यूपी और जम्मू-कश्मीर इस सूची में सबसे नीचे हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 30 फिसदी पुरुषों की तुलना में 38 फिसदी महिलाएं एक या अधिक पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं। जिस कारण स्वास्थ्य के साथ-साथ टर्म इंश्योरेंस दोनों उनके लिए एक प्राथमिक जरूरत है।

महिलाओं की बीमा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है उत्पाद का नवीनीकरण

बीमा उद्योग में तेजी से विकास और नवाचार ने महिला उपभोक्ताओं को ऐसे उत्पाद प्रदान किए हैं, जो विशेष रूप से उनकी बीमा जरूरतों को पूरा करते हैं। टर्म इंश्योरेंस की बात करें तो हाल ही में होममेकर्स के लिए इंडिपेंडेंट टर्म इंश्योरेंस प्लान लॉन्च करना एक ऐसा ही उदाहरण है। परंपरागत रूप से, लबे समय से यह धरना चली आ रही है कि गृहणियों का अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नहीं होता। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह दोहराया कि यह धारणा समस्याग्रस्त है और इसे दूर किया जाना चाहिए। यह फैसला इस धारणा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाकर बताता है कि एक गृहिणी घर और अर्थव्यवस्था के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, महिलाओं के जीवन की रक्षा करना भी उतना ही आवश्यक है जितना पुरुष की। इन बीमा योजनाओं ने गृहणियों का जीवनसाथी पर निर्भर रहना ख़त्म करने में ख़ास मदद की है।

इसी तरह, स्वास्थ्य बीमा में मैटरनिटी कवर महिलाओं को गर्भावस्था और बच्चे के जन्म से जुड़े अत्यधिक खर्चों से आर्थिक रूप से सुरक्षित रखता है। बीमा उद्योग विशेषज्ञ महिलाओं को अपनी सुरक्षा को अधिकतम करने के लिए मैटरनिटी कवर के साथ व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुनने की सलाह देते हैं। कवरेज में नियम और शर्तों के अनुसार इसमें परीक्षण व जांच, प्रसव से पहले एवं बाद की लागत और नवजात खर्च शामिल होते हैं। मैटरनिटी बेनिफिट्स के साथ स्वास्थ्य बीमा किसी भी अनिश्चित परिणाम के खिलाफ उचित सुरक्षा प्रदान करता है जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने और मैटरनिटी के दौरान उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है।

डिजिटलीकरण – अडॉप्शन बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण संचालक

डिजिटलीकरण तेजी से बीमा उद्योग के आने वाले समय सकारात्मक रूप से बदल रहा है। यह बीमा के भविष्य के रोडमैप के लिए अनुकूल प्रेरणा दायक के रूप में तो कार्यरत है ही,लेकिन इससे भी अधिक यह बीमा और वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने के प्रति उपभोक्ता के दृष्टिकोण को बदल रहा है। हालांकि यह हर उपभोक्ता के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है, लेकिन इससे महिलाओं के लिए बीमा को अपनाना निश्चित रूप से बहुत आसान हो जायेगा। आईएएमएआई की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 31 फिसदी इंटरनेट उपयोगकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और भारत में कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 43 फिसदी महिलाएं हैं। इस प्रकार यह न केवल महिलाओं के लिए बीमा निर्णयों को आसान बनाता है बल्कि उच्च अडॉप्श के लिए भी प्रेरित करता है। उपयुक्त बीमा की खोज, तुलना और खरीद से लेकर क्लेम में सहायता तक के लिए इंसुरटेक महिलाओं को एक एंड-टू-एंड डिजिटल सहायता प्रदान करता है। जिससे इस बदलाव को और बढ़ावा मिलने में मदद मिलती है। पिछले साल 2021 में, पॉलिसीबाजार वेबसाइट पर आने वाली सभी महिला ग्राहकों में से, 48 फिसदी महिलाओं ने 1 करोड़ और उससे अधिक की बीमा राशि के साथ टर्म लाइफ कवर का विकल्प चुना, जबकि अन्य 30 फिसदी ने 50 लाख और उससे अधिक रुपये के कवर में निवेश किया।

बेशक, महिला उपभोक्ताओं को पर्याप्त बीमा के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन मौजूदा बदलाव निश्चित रूप से आगे के लिए उज्जवल भविष्य दर्शाते हैं। महिलाएं आज परिवार, समाज और देश में अपने अपार योगदान से भविष्य को एक नया आकार दे रही हैं। यह बेहद जरूरी है कि वे अपनी वित्तीय सुरक्षा और भविष्य पर भी ध्यान दें। महिलाएं अर्थव्यवस्था की सबसे मजबूत स्तंभ हैं, और इसलिए उनके पास एक मजबूत सुरक्षा ढाल का होना बेहद आवश्यक है।

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