14 विभागाध्यक्षों को कारण बताओ नोटिस
जवाब तलब
● 15 दिन में मांगा गया है विभागाध्यक्षों से जवाब, न प्रशासन बोल रहा न ही शिक्षक
● 18 अक्तूबर को 11 विभागाध्यक्षों व 22 को तीन और विभागाध्यक्षों को जारी किया नोटिस
गोरखपुर।
शिक्षक संघ की प्रक्रिया को बाधित करना दुखद
उप्र विश्वविद्यालय आवासीय महासंघ के अध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने कहा कि कोई भी विवि नोटिस देने से नहीं चलता, अधिकारियों द्वारा समस्याओं की नोटिस लेने से चलता है। समस्याओं पर गंभीरता से विचार न करना और बैठकों में भी अपने निर्णयों को थोपना विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को क्षत-विक्षत करना है। विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ नहीं है। इसलिए शिक्षकों को अपनी बात रखने का फोरम नहीं मिल रहा है। शिक्षक संघ की प्रक्रिया को बाधित करना दुखद है। शिक्षकों की आवाज को दबाना भी विश्वविद्यालय के दीर्घकालिक हित में नहीं है। प्रवेश या परीक्षा या पढ़ाई की प्रक्रिया में कोई विसंगति है तो कोई भी सवाल उठाता है तो उनका समाधान जिम्मेदारों को करना चाहिए। विवि सार्वजनिक संस्था है, इसे मनमानी आदेशों से हांकना ठीक नहीं है। असंतुष्ट और क्षुब्ध अध्यापक न ठीक से पढ़ा सकता है न रिसर्च कर सकता है।
यह है आरोप
ज्यादातर पर आरोप एक जैसे ही हैं। एक आरोप है, 11 अक्तूबर को सीबीसीएस पैटर्न को लेकर हुई मीटिंग में बिना किसी वैध कारण के विश्वविद्यालय में उपस्थित होने के बावजूद उपस्थित नहीं हुए।
कुछ पर आरोप है कि ऑफिस के आदेशों के विरूद्ध संकाय के विभागाध्यक्षों ने संयुक्त मीटिंग की।
तीसरा आरोप है, यूजी, पीजी में सीबीसीएस सिस्टम सही ढंग से लागू करने में सहयोग नहीं कर रहे।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि में एक संकायाध्यक्ष समेत 14 विभागाध्यक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विभागाध्यक्षों पर सीबीसीएस पाठ्यक्रम में सहयोग न करने आदि के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। नोटिस पर डीडीयू प्रशासन ने 15 दिनों में जवाब मांगा है।
11 अक्तूबर को विश्वविद्यालय व सम्बद्ध महाविद्यालयों में सीबीसीएस पाठ्यक्रम लागू करने के लिए कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में संकायाध्यक्षों और विभागाध्यक्षों की बैठक हुई थी। उस दौरान विवि में स्नातक व परास्नातक में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही थी। इसे देखते हुए कुछ विभागाध्यक्षों ने खुद न जाकर अपना प्रतिनिधि भेजा था। उस बैठक में इसी सत्र से महाविद्यालयों में भी स्नातक प्रथम वर्ष में भी सीबीसीएस पैटर्न लागू किए जाने की घोषणा विवि प्रशासन ने की थी। उसके बाद दशहरा की छुट्टी हो गई। पुन: विवि खुलने पर 18 अक्तूबर को एक संकायाध्यक्ष समेत 11 विभागाध्यक्षों को नोटिस जारी किया गया। 22 अक्तूबर को तीन और विभागाध्यक्षों को भी नोटिस जारी किया गया। सम्बंधित विभागाध्यक्ष कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी भी यह कहकर इस सवाल को टाल दे रहे हैं कि वे बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
यह हैं विभागाध्यक्षों के तर्क : एक विभागाध्यक्ष ने कहा, शिक्षकों पर एक आरोप ये लगाया गया है कि उन्होंने विवि प्रशासन के नौ अक्तूबर के एक आदेश के खिलाफ 8 अक्तूबर को सामूहिक प्रतिवेदन भेजा। वह संयुक्त पत्र शिक्षण व्यवस्था से सम्बंधित था। लेकिन प्रशासन को शिक्षकों का एक साथ पत्र लिखना अखर गया। एक विभागाध्यक्ष ने कहा, पठन पाठन और सत्र नियमन में सहयोग न करने के आरोपों से वे क्षुब्ध हैं।
तीन दिन तक कुलपति ने नहीं दिया जवाब : इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष जानने के लिए कुलपति प्रो.राजेश सिंह को कई बार फोन किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। व्हाट्सप और ईमेल भेज कर उनका पक्ष मांगा गया है। गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष मिलने पर उसे प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया जाएगा।