खबरी इंडिया, गोरखपुर।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय में स्थापित नए कृषि संकाय के सत्रारंभ के अवसर पर बीएससी (एजी) और एमएससी (एजी) के विद्यार्थियों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान संकाय सुप्रतिष्ठित है। इसका फायदा बीएससी एजी और एमएससी एजी के प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को भी मिलेगा।
अगले एक से दो साल के अंदर कृषि संकाय को आईसीआर से एक्रीडेशन कराने पर फोकस है। इससे यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए सरकारी नौकरी का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रवेश प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। भवन, लैबोट्ररी, कक्षा, उपकरण और उच्चीकृत फैकल्टी से कृषि संकाय को लैस किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित कृषि संकाय के अंतर्गत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चेयर की स्थापना की जाएगी। ख्यातिलब्ध कृषि वैज्ञानिकों और एकेडमिक स्कालर्स प्रो पंजाब सिंह, प्रो रामचेत चौधरी, डॉ कीर्ति सिंह को मेंटर के रूप में कृषि संकाय से ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फलक पर विश्वविद्यालय की ख्याति फैल रही है। हाल ही में क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग ने विश्वविद्यालय को देश में 96वीं रैंक और राज्य विश्वविद्यालयों में पहला स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में संचालित 55 परंपरागत कोर्स के साथ साथ पहली बार 67 नए कोर्स का संचालन इसी सत्र से किया जा रहा है। इनमें 80 फीसदी कोर्स की सीटें भर चुकी हैं।
मुख्य अतिथि पूर्व कृषि वैज्ञानिक प्रो रामचेत चौधरी ने कहा कि कृषि ही जीवन का आधार है। विश्वविद्यालय में कृषि संकाय के रूप बीएससी कूषि और एमएससी कृषि जीवन में संचार की तरह है। कृषि के क्षेत्र में ऊचाईयां बहुत हैं। अगर आप के पास आईडिया है तो सब कुछ होगा। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे सपना वो नहीं है जो आप सोते सोते देखते हैं, बल्कि वो है जो आप को सोने न दें। अगर मैं 78 वर्ष की आयु में ये सपना देख सकता हूं तो आप क्यू नहीं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के बीएससी कृषि और एमएससी प्लांट ब्रीडिग के एक-एक टॉपर को एक एक स्वर्ण पदक भी देने का एलान किया।
विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य प्रो वीएन त्रिपाठी ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। ऐसा प्रायः कहा जाता है। मगर बाजार युग में कृषि उपेक्षा का शिकार बन गई है। ग्रामीण गांव को छोड़कर शहरी चकाचौंध के पीछे भाग रहे हैं। कृषि सामान्य नहीं है। ये एक विज्ञान है। शुरूआत में लोग कृषि को पढ़ाई नहीं समझते थे। इसलिए इंजीनियरिंग और मेडिकल के पीछे भागते थे। धीरे धीरे कृषि के पीछे विज्ञान जुड़ने से युवाओं का कोर्स के प्रति आकर्षण बढ़ा। देश में अब बीएसएसी कृषि, एमएससी कृषि और पीएचडी स्कालर्स को नौकरियां मिलने लगी हैं। यही वजह है कि कोर्स की डिमांड बढ़ रही है।
कोर्स समन्वयक प्रो अजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. के. सुनीता तथा आभार ज्ञापन डॉ निखिल कांत शुक्ला ने किया। इस दौरान कृषि संकाय में पढ़ाने वाले शिक्षकों प्रो सुनीता मुर्म, डॉ निखिल कांत शुक्ला, प्रो दिनेश यादव, दीपेंद्र मोहन सिंह और डॉ राम प्रताप यादव ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।