
- राजभवन में गुआक्टा और कुलपति के बीच हुआ ऐतिहासिक संवाद
विनीत राय, गोरखपुर।
कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल के समक्ष राजभवन में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति और गुआक्टा पदाधिकारियों की पेशी हुई। लंबे समय से चल रही रार को लेकर दोनों पक्षों की आमने- सामने की बातचीत सम्पन्न हुई जिसमें कुलपति ने शिक्षकों की सभी मांगों को तय समय सीमा के भीतर पूरा करने का वचन दिया और सभी की सहमति से विश्वविद्यालय की नियमावली के अनुरूप सभी कार्यो को संपादित करने का भरोसा दिया।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप आज पूर्वाह्न हुई बैठक में गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध स्नातक शिक्षकों को शोध निर्देशक बनाए जाने, महाविद्यालय के शिक्षकों को बिना तीन वर्ष की छुट्टी लिए पीएचडी कार्य पूर्ण करने तथा परीक्षा समिति, विद्यारिषद एवं कार्यपरिषद में वरिष्ठता के आधार पर भागीदारी तय किए जाने जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई। इस दौरान कुलपति के मनमानेपूर्ण रवैये और लगातार विश्वविद्यालय के अधिनियम एवं परिनियम के उल्लंघन पर भी कुलाधिपति ने नाराजगी जताई और सहमति बनाकर नियमानुसार कार्य करने का निर्देश दिया।
उक्त जानकारी देते हुए गुआक्टा अध्यक्ष डॉ के. डी. तिवारी एवं महामंत्री डॉ धीरेंद्र सिंह ने बताया कि शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल में भारतीय महाविद्यालय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ विवेक द्विवेदी, उ. प्र. विश्विद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान, गुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ एस.एन.शर्मा सम्मिलित हुए।
उल्लेखनीय है कि पहली बार शिक्षकों के मुद्दे पर किसी कुलपति को शिक्षक प्रतिनिधि मंडल के समक्ष राजभवन में अपनी सफाई देने के लिए जाना पड़ा है। नियुक्ति के बाद से ही गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों के बीच तनाव चल रहा था और कुलपति के ऊपर नियम विरुद्ध कार्य करने के तमाम आरोप लगते रहे हैं। कुलपति के व्यवहार की प्रदेश भर के शिक्षक पदाधिकारियों ने निंदा की थी, जिसके बाद इस विवाद ने तूल पकड़ लिया था।
गुआक्टा ने कुलपति और शिक्षकों के बीच सहमति बनाने एवं संवाद स्थापित कराने के लिए महामहिम के प्रति आभार व्यक्त किया है।
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