जैव विविधता से ही बचेगा मानव मानव अस्तित्व
आधुनिकीरण के दौर में पर्यवारण संरक्षण जरूरी
खबरी इंडिया, गोरखपुर। पर्यावरण आंदोलन लेकर पाश्चात्य विचारधारा का झुकाव अब भारतीय चिंतन की तरफ हो रहा है। भारतीय पर्यावरण आंदोलन से जुड़े चिंतन का वैश्विक महत्व बढ़ रहा है। यहाँ के पर्यावरण आंदोलन से दुनियाभर के आंदोलन प्रभावित हो रहे हैं। पाश्चत्य समाज में पर्यावरण केंद्रीय मुद्दा नही है और न ही उसमें निरंतरता है, जबकि भारत के पर्यावरण आंदोलनों में निरंतरता है। यहाँ के चिपको आंदोलन में गरीबों का पर्यावरणवाद स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। भारतीय पर्यावरण आंदोलन में गांधीवादी चिंतन से लेकर वैज्ञानिक संरक्षण तक का समावेश है। इन पर्यावरण आंदोलनों का प्रमुख उद्देश्य जैव विविधता को संरक्षित करना है। जैव विविधता के संरक्षण से ही बचेगा मानव अस्तित्व।आधुनिकता के परिवेश में प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है। आधुनिकता के वर्तमान परिदृश्य में व्यक्ति और समाज प्रगति की अंधी दौड़ में प्रकृति की कीमत पर जो विकास कर रहा है उससे अनेक पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी समस्या उत्पन्न हो रही है।
उक्त वक्तव्य दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडीसी केंद्र के द्वारा आयोजित द्वितीय फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के एक सत्र में गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो. संगीता पांडेय ने एनवायरमेंटल मूवमेंट्स इन इंडिया : फिलासफी एंड ट्रेंड्स विषय पर दिया।
द्वितीय सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की अंग्रेजी की प्रोफेसर गुंजन सुशील द्वारा शिक्षक छात्र संबंधों पर व्याख्यान दिया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि शिक्षक को छात्र के साथ अधिक मित्रवत ना होकर उसकी समस्याओं को समझ कर उसके प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए तथा उसे संतुष्ट करना चाहिए।
कार्यक्रम समन्वयक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार ज्ञापन सह समन्वयक डॉ मनीष पाण्डेय ने किया।
एफआईपी कार्यक्रम का समापन आज
यूजीसी एचआरडी सेंटर द्वारा चलाए जा रहे फैकल्टी के समन्वयक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि इस कार्यक्रम का आज समापन किया जाएगा, जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय इलाहाबाद की उपस्थिति रहेगी।