गोरखपुर। गोवर्धन पीठ पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी महाराज ने कहा ईश वन्दना ही राष्ट्र वन्दना है। सनातन संस्कृति में जड़, जीव, चेतन सब में कण-कण में भगवान हैं। ईश वन्दना से राष्ट्र की भक्ति स्वतः सिद्ध हो जाती है। देव आराधना से जागृत भाव द्वारा सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे:सन्तु निरामयाः की सीख से सबके कल्याण का भाव जागरण होता है। राष्ट्र के कल्याण में स्वयं का कल्याण है।
कर्तव्य से विमुख होने पर तय है पतन
जगतगुरु शंकराचार्य शुक्रवार को बुद्ध विहार पार्ट ए स्तिथ अपने प्रवास स्थल पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। श्रद्धालुओं के सवालों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लोक कल्याण और आत्म कल्याण में भेद नही है। लोक कल्याण के लिए अगर कोई अग्रसर होता है तो वह आत्म कल्याण ही है। गीता के 5 वें और 12 वें अध्याय में इसका जिक्र है।
जगतगुरु ने कहा कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की संकल्पना जरूर पूरी होगी। पूरे देश मे इसे लेकर हलचल है। जहां तक सत्ताधीशों और राजनेताओं की बात है तो भगवान सूर्य ही उनकी रक्षा करें। वैसे भी जो व्यक्ति कर्तव्य से विमुख होकर अपने पद का उपभोग करने लगता है उसका पतन तय है। कर्तव्य सबका तय है चाहे वह शंकराचार्य हों या राजनेता। सन्त हो या आमजन। शंकराचार्य ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कर्म का नाम ही धर्म है। स्व की सीमा जो कर्म है वही धर्म हो जाता है।
श्रद्धालुओं ने ली दीक्षा, चरण पादुका पर शीश नवाया
इसके पूर्व शंकराचार्य ने भक्तजनों को दीक्षा भी दी। संगोष्ठी में सभी श्रद्धालुओं ने चरण पादुका पर शीश नवाया और फिर प्रसाद वितरण किया गया। प्रमुख रूप से ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद उपाध्याय, अजीत शाही, बृजेश त्रिपाठी, रमेन्द्र प्रताप चन्द, बलिराम त्रिपाठी, मानसी सिंह, मनोज सिंह ने शंकराचार्य से सवाल पूछे। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष राजा त्रिपाठी,सचिव राजेश सिंह,मानवेन्द्र सिंह,राजेश मिश्रा, राजन राय,आशुतोष मिश्र, राम प्रताप विश्वकर्मा, अरविंद सिंह,अजय पांडेय,जय शंकर पाल,अशोक कुमार मिश्र, संजय सिंह, डॉ. एके पांडेय, डॉ वाई सिंह,कौस्तुभ मणि त्रिपाठी, विश्वजिताशु सिंह आशु, बृजेश मणि मिश्र, आलोक सिंह विशेन, धीरेंद्र शुक्ल, मनोज सिंह, विनोद शुक्ल, शैलेन्द्र सिंह, राघवेन्द्र सिंह मुन्ना सहित अन्य लोग मौजूद रहे।