
नई दिल्ली: तिकुनिया कांड मामले में जांच टीम ने सोमवार को अदालत में पांच हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। जिसमें 208 गवाहों और 14 आरोपियों के नाम हैं। इन आरोपियों में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का एक रिश्तेदार भी शामिल है। मामले का मुख्य आरोपी आशीष मिश्र है। तीन अक्तूबर को तिकुनिया कस्बे में हुई हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की जान गई थी। इसी तारीख को रात में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसमें 14 लोगों को मामले का आरोपी बताया गया था। उधर, भाजपा नेता की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में अब तक सात आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस की ओर से दायर चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है। पुलिस की चार्जशीट के बारे में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि घटना के दौरान आशीष मिश्रा एसयूवर थार में मौजूद था। वहीं, उसका एक संबंधी वीरेंद्र शुक्ला घटना के समय स्कॉरपियो में मौजूद था। उसे भी किसानों पर एसयूवी चढ़ाए जाने और हिंसा मामले में आरोपी बनाया गया है। बताया जा रहा है कि वीरेंद्र शुक्ला उनके मामा हैं।
आरोप पत्र किसी भी हालत में जल्द से जल्द दाख़िल किया जाना था क्योंकि उसे दाख़िल करने की 90 दिन की अवधि समाप्त हो रही थी। अगर एसआईटी ऐसा नहीं करती तो सभी अभियुक्तों के लिए ज़मानत लेने के क़ानूनी रास्ते खुल सकते थे।
इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मुख्य अभियुक्त हैं। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास के भतीजे अंकित दास के अलावा 12 अन्य सह अभियुक्त हैं।
बीते साल तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर ज़िले के तिकुनियां कस्बे में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे किसानों पर कथित तौर पर बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र से जुड़े लोगों ने गाड़ियां चढ़ा दी थीं।
इस घटना में चार किसानों की कारों से कुचलने से मौत हुई थी। एक पत्रकार की भी कार से कुचलने से मौत हुई थी जबकि मौके पर मौजूद भीड़ ने कारों में सवार तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। कुल आठ लोग इस हिंसा में मारे गए थे।
इस घटना के बाद विपक्ष के तमाम नेताओं ने लखीमपुर खीरी पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मिलने की कोशिश की। इसके बाद से किसान संगठन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के निलंबन और उनके बेटे के ख़िलाफ़ गंभीर मामला चलाए जाने की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी मामले का स्वतः संज्ञान लेने के बाद इस मामले की सुनवाई की थी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना के नेतृत्व वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से मामले में की जा रही न्यायिक जांच का विवरण भी देने को कहा था।