आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास के अवसर पर कहा कि प्राचीन काल से ही शरीर को स्वस्थ रखने की कई पद्धतियां प्रचलित रही हैं, इन्हें सामूहिक रूप में आयुष कहते हैं। कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैदिक काल से हमारे यहां आरोग्य को सर्वाधिक महत्व दिया जाता रहा है। किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए शरीर पहला साधन होता है। योग के माध्यम से सामाजिक जागरण का अलख जगाने वाले महायोगी गोरखनाथ ने कहा है, ‘यदे सुखम तद स्वर्गम, यदे दुखम तद नर्कम।’ उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी व सिद्ध के अलग-अलग महाविद्यालयों के सत्र, पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम के नियमन तथा इन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ आमजन तक और सुलभ कराने का काम करेगा। प्राचीन एवं परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर स्थापित होने वाला यह विश्वविद्यालय परंपरागत चिकित्सा पद्धति के विकास में मील का पत्थर स्थापित करेगा। पूर्वांचल के लिए गौरव की बात यह होगी कि इस आयुष विश्वविद्यालय का नाम योग की तमाम विधाओं के प्रणेता महायोगी गोरखनाथ के नाम पर होगा।
मुख्यमंत्री बोले, गोरखनाथ की धरती पर राष्ट्रपति का स्वागत करता हूं
मंच को संबोधित करने आए योगी आदित्यनाथ ने आते ही भारत माता की जय और वंदेमातरम से जोश भरा। पूरा पंडाल जय श्री राम के नारे से गूंज उठा। मुख्यमंत्री ने सभी का अभिवादन किया। कहा कि गोरखनाथ की धरती पर राष्ट्रपति का स्वागत करता हूं। यह हम सब का सौभाग्य है कि भारत की चिकित्सा पद्धति को नरेंद्र मोदी ने जो पहचान दी उसका लोहा पूरी दुनिया मान रहा है।झमाझम हो रही बारिश के बीच हजारों की संख्या में लोग डटे रहें।
योग को अपना रही है पूरी दुनिया
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपना रही है। इन पद्धतियों को अपनाकर असाध्य रोगों का आसानी से उपचार हो जाता है और जीवन सुखमय हो जाता है। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में मौसम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह जब लखनऊ पहुंचे तो मौसम खराब था। लग रहा था कि कार्यक्रम में कोई बाधा न आए, लेकिन यहां के लोगों का महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के प्रति असीम समर्पण ने इंद्रदेव को भी बाध्य कर दिया। बारिश ने इस अवसर को और खास बना दिया।
36 माह में पूरा हो जाएगा आयुष विश्वविद्यालय का काम
आयुष मंत्री धर्मसिंह सैनी ने अपने संबोधन में विस्तार से आयुष विश्वविद्यालय के विषय में जानकारी दी। मुख्यमंत्री की रुचि शुरू से ही आयुष में रही है। कोरोना से लड़ने में इसका इस्तेमाल कर उन्होंने इसको प्रमाणिकता दी। आयुष शिक्षा पद्धति की सभी परेशानियां अब दूर होंगी और उत्तर प्रदेश को नई पहचान मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को नई पहचान दी। 56 एकड़ में 300 करोड़ की लागत से यह विश्वविद्यालय 36 माह में बनकर तैयार हो जाएगा।
दुनियां ने अपनायी परंपरागत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति-योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। आज उसी क्रम में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। भारत सरकार ने अलग से आयुष मंत्रालय का गठन किया है। इस मंत्रालय ने लोगों को आरोग्यता प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। डेढ़ वर्ष से पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप है। दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं है, जिसने भारत की परंपरागत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का अनुसरण न किया हो।
हल्दी का पानी पीने के लिए लगती है लाइन
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दुनिया में हल्दी का पानी पीने के लिए लाइन लग रही है। जबकि अपने यहां वर्षों से हर भोज्य पदार्थ में हल्दी का उपयोग किया जाता रहा है। देश की आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को आगे ले जाने के क्रम में ही प्रदेश सरकार आयुष विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रही है। इस आयुष विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के कर कमलों से भूमि पूजन व शिलान्यास हो चुका है। यह विश्वविद्यालय प्रदेश के सभी आयुष विद्यालय, होम्योपैथिक कालेज के शैक्षणिक सत्र को एकरूपता प्रदान करेगा। बता दें यह विश्वविद्यालय 299.87 करोड़ की लागत से बनेगा।
राष्ट्रपति की बेटी भी रहीं मौजूद
राष्ट्रपति की बेटी स्वाती कोविंद भी शिलान्यास के दौरान रहीं। उनके लिए वीआइपी दीर्घा में अलग से कुर्सी लगाई गई है। राष्ट्रपति सुबह 10.31 बजे अपनी पत्नी एवं देश की प्रथम महिला सविता कोविन्द एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ एयरफोर्स स्टेशन गोरखपुर पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मेयर और भाजपा नेताओं ने स्वागत किया।
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