केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यहां डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के साथ ‘विश्व क्षय रोग दिवस‘ समारोह का उद्घाटन किया।
इस आयोजन में नीति आयोग के सदस्य स्वास्थ्य डॉ. विनोद पॉल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, डीएचआर सचिव एवं आईसीएमआर महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव और भारत के विश्व स्वास्थ्य संगठन में प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको एच ऑफरिन समेत अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
इस आयोजन को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “भारत में विश्व के क्षय रोग के 30 प्रतिशत मरीज हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने 2025 तक क्षय रोग को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रतिबद्धताओं का समर्थन संसाधनों के साथ किया जाए। भारत में टीबी के लिए बजट आवंटन में पिछले 5 वर्षों में चार गुना वृद्धि देखी गई है। उच्च-गुणवत्ता वाली दवाओं, डिजिटल तकनीक, निजी क्षेत्र और समुदायों के बीच स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर सभी स्तरों पर टीबी सेवाओं को एकीकृत करके देश में टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर में तेजी से गिरावट लाने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है।”
अपने राज्य के टीबीआई सूचकांक के आधार पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को पुरस्कार भी दिए गए। लक्षद्वीप (यूटी) और बडगाम जिले (जम्मू-कश्मीर) को टीबी मुक्त घोषित किया गया।
पुरस्कार प्राप्त करने वालों को पदक और प्रमाण पत्र वितरित करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि एक केंद्र शासित प्रदेश और एक जिले को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। यह भारत से टीबी उन्मूलन के एक बड़े सपने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है। मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष हमारे पास अधिक राज्य, केन्द्र शासित प्रदेश और जिले होंगे जो टीबी मुक्त होने का दावा पेश करेंगे। पिछले कुछ वर्षों में देश ने टीबी उन्मूलन की दिशा में निश्चित कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के निरंतर प्रयासों से टीबी सूचनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और समय पर निदान, पालन और उपचार परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। यह एक उत्साहजनक संकेत है और यह दर्शाता है कि अब हमारे पास टीबी रोगियों तक बेहतर पहुंच है और सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान करने की क्षमता है। पिछले कुछ वर्षों में हमने टीबी के लिए भारत की नैदानिक क्षमता में काफी वृद्धि की है और अब हमारे पास प्रत्येक जिले में कम से कम एक रैपिड मोलेक्यूलर डायग्नोस्टिक सुविधा उपलब्ध है और हम इसे ब्लॉक स्तर तक विकेंद्रीकृत करने का लक्ष्य बना रहे हैं।