उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे लेकर सभी सियासी दल तैयारियों में जुट गए हैं। वहीं अब दूसरे राज्यों की पार्टियां भी यूपी विधासनभा चुनाव 2022 में अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं। राष्टवादी कांग्रेस पार्टी के समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अब जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ने भी यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं।
जातीय समीकरण पर रहेगा फोकस:
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे और बिहार सरकार में मंत्री संतोष मांझी आज यानि शनिवार को लखनऊ पहुंचेंगे. यहां वे विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं को तलाशेंगे। मीडिया सूत्रों के मुताबिक, संतोष मांझी का मानना है कि बिहार की तरह यूपी में भी जातीय समीकरण उन्हें जीत दिला सकती है. वे यहां स्वजातीय लोगों से संवाद करेंगे और आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
ये दल भी यूपी चुनाव में ठोकेंगे ताल:
बता दें ,हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के पहले बीजेपी की बिहार में सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी और जनता दल यूनाइटेड ने भी यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। अब यह पार्टियां अकेले चुनाव लड़ेंगी या किसी पार्टी के साथ गठबंधन करेंगी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसके अलावा बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिवसेना भी यूपी के सियासी रण में ताल ठोंकेगी। शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने यूपी की 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है. यहां उनका सबसे बड़ा मुद्दा हिन्दुत्व होगा।
निषाद वोट बैंक पर है नजर:
यूपी के करीब 14 प्रतिशत निषाद समाज पर है. वह इसे साधने में लगी हुई है. वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी पार्टी को बिहार से आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। वे 165 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री हैं।
यूपी में जदयू 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले 2017 में भी वह विधानसभा चुनाव लड़ने वाली थी, लेकिन बाद में पीछे हट गई। जेडीए महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि हम एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। यूपी में हमारी पहली प्राथमिकता बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने की है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि अगर हमारी सीटों को लेकर बात बनती है तो हम किसी भी पार्टी के भी साथ जा सकते हैं।