
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जिओलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ज्ञान के सृजन के अवसरों में बढ़ोतरी और ज्ञान व समाज के बीच की दूरी में कमी के साथ ही व्यापक डाटा के विश्लेषण में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में बढ़ोतरी से भारत विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी में वैश्विक लीडर बन सकता है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को ऑनलाइन संबोधित करते हुए प्रोफेसर विजय राघवन ने कहा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में मानवीय दखल का खासा गहरा प्रभाव होता है और वर्तमान दौर में पारम्परिक के साथ ही ज्ञान आधारित आत्मनिर्भर संगठनात्मक समाज के निर्माण की जरूरत है।
उन्होंने तकनीक कुशल विश्व में भूविज्ञान की भूमिका पर जोर देते कहा कि हिमालय के उत्थान से वैश्विक स्तर पर मानव सभ्यता को आकार मिला और इस परिदृश्य में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जिओलॉजी की भूमिका बढ़ रही है।
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. कलाचंद साईं ने दर्शकों को वक्ता की विशेषज्ञता और ख्याति से रूबरू कराया, जो उन्होंने राष्ट्र को दिलाई है। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वैज्ञानिक, विद्यार्थी प्रत्यक्ष और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपस्थित हुए। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर इंटरनेशन एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (एआरसीआई) में हुए एक अन्य कार्यक्रम में, देश भर में स्थित कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों से आए शोध छात्रों ने टाक सीरीज के दौरान 3डी प्रिंटिंग, अलॉय डिजाइन, जल शुद्धीकरण, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, नवीनीकृत ऊर्जा, स्मार्ट मटेरियल्स आदि कई विषयों पर अपने विचार रखे।
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