
-व्यवसाय योजना विकास और एफपीओ की बढोत्तरी” पर एक सप्ताह की ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन
गोरखपुर। यूजीसी-एचआरडीसी एवं उद्यमिता और ऊष्मायन सेल दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सप्ताह के ऑनलाइन कार्यशाला के पाँचवे दिन दो सत्रों का संचालन हुआ। पहले सत्र के मुख्य वक्ता पी. एस. ओझा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एफपीओ के लिए चलायी जा रही योजनाओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, कृषि इंफ़्रास्ट्रक्चर फंड, कृषक सशक्तिकरण परियोजना, मनरेगा, मत्स्य सम्पदा योजना, राष्ट्रीय बंबू मिशन और बंधन योजना के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि एफपीओ का पंजीकरण कम्पनी एक्ट और कोआपरेटिव एक्ट में किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कम्पनी के पंजीकरण, फ़ार्मिंग ऐग्रेगेशन, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
दूसरे सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक और बेलिपार कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) प्रमुख एस. के. तोमर ने संगठित किसानों के लिए केवीके पर अपना विचार रखा। उन्होंने सिलसिलेवार ढंग से केवीके का इतिहास, उसके उद्देश्य, उसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं, उनकी चुनौती और उन चुनौतियों से निपटने के लिए सुझाव भी रखे। श्री तोमर जी ने बताया कि आधुनिक तकनीक, विपणन कुशलता, कृषि अनुसंधान, एफपीओ की भूमिका, फसल विविधता और कुशल सप्लाई चैन, सामूहिक सौदेबाज़ी, एग्री- बिजनेस हब के उचित प्रयोग से देश के किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को व्यापक तौर पर सुधारा जा सकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने ये भी बताया कि मानव संसाधन प्रबंधन, तकनीकी का समुचित प्रयोग, आधुनिक प्रशिक्षण, सूचनाओं के व्यापक प्रसार से केवीके किसानों को और सक्षम बनाया जा सकता है। साथ ही साथ उन्होंने एफपीओं और केवीके से सम्बंधित अपने अनुभवों को भी साझा किया।
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